तुम ऐसे लोगों की क्यों परवाह करते हो जो तुम्हारे बारे में सोचते भी नहीं। तुम उनके जीवन में हो लेकिन अर्थ ना रहने जैसा ही है, ऐसे लोगोंकी परवाह करके तुम स्वयं को कष्ट क्यों देते हो, ओह ! आज मैंने कितने कड़े शब्दों का उपयोग किया, रवीना को कितना दुख हुआ होगा,जबकि तुम्हारे शब्द सर्वथा निर्मल और पवित्र थे, बावजूद इसके तुमने खेद प्रकट किया, उसे कोई असर ना हुआ, तुम्हारे खेद का जवाब देना भी उचित नहीं समझा, ऐसे लोगों को अपने जीवन में रखकर, उनकी याद को पाल कर, अपना कष्ट क्यों बढ़ाते हो,
जीवन में कटु अनुभव जरूरी है, यह कटु अनुभव हमें निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करते हैं, अन्य शब्दों में कहे तो हमें कठोर बनाते हैं। हमें अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने का पाठ सिखाते हैं, निश्चित ही यह पाठ जीवन में आवश्यक भावनाओं को नियंत्रित करने में बहुत महत्वपूर्ण सहायक होते हैं, जिससे कि व्यक्ति भविष्य में आने वाले दुखों से बच जाता है। इसी प्रकार अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सुखद परिणाम देने वाले निर्णय को लेने की क्षमता को यहां टेढ़ा होना कहा गया है।
आज जो व्यक्ति जितना सीधा और सरल है उसका उतना ही ज्यादा शोषण होने की आशंका बनी हुई है। अगर वह नौकरी करने जाता है तो नौकरी देने वाला यह कोशिश करेगा कि उससे बिना कुछ कीमत चुकाए ही या बहुत ही कम कीमत में काम करवा लिया जाए। अगर वह दुकान में सामान लेने जाता है तो उसे दुकानदार कोशिश करता है अच्छी से अच्छी कीमत वसूले एवं घटिया से घटिया सामान उसे टीका दे। सड़क पर नियमों का पालन कर चलते हुए, ऐसा व्यक्ति जो सर्वथा कानून की अवहेलना करता है बिना किसी कारण के ही दो शब्द सुना के चला जाता है।
आपका चरित्र निर्मल है, पवित्र है ,स्वच्छ है कभी किसी को मन की सचेतन अवस्था में किसी भी प्रकार का कष्ट देने का प्रयास नहीं किया, बावजूद इसके सर्वथा जीवन में कष्ट आप की ही झोली में आए हैं। एक भवन निर्माण करने वाला बिल्डर, वह घर जो किसी और को बेचा जा चुका है तुम्हें भी बेच देता है, अब तुम उसमें रह नहीं सकते , क्योंकि उस मकान पर मालिकाना हक दिखाने वाले एक से ज्यादा है। जबकि उस भवन निर्माण करने वाले बिल्डर पर दसों की संख्या में कानूनी केस चल रहे हैं।
इसलिए है मित्र ये जीवन है इसमें लड़ना सीखो, दायरे में रहते हुए स्वार्थी बनो, कोई तुम्हें बोले तो तुम भी चुप ना रहो, अपने अधिकारों को जानो और उनका उपयोग करना सीखो, अपने अधिकारों को मांगना सीखो, हे मित्र जीवन जीना है तो थोड़ा टेढा़ बनो
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