Friday, April 24, 2020

खाकी वर्दी

जब जब विपरीत घङी थी,
तब भी पूरे जज्बे से खाकी खङी थी ।

कङी धूप और बारिश की झड़ी थी,
तब भी पूरे जज्बे से खाकी खङी थी।

जब सब को होली और दिवाली की पङी थी, 
तब भी पूरे जज्बे से खाकी खङी थी।

जब जब जिंदगी जीने का ख्याल आया, 
तब भी देश भक्ति- जन सेवा आङे खङी थी।

अभी भी वर्दी  निडर मौत के  सामने खङी हैं, 
फिर भी लोगों की उँगली खाकी  पर पङी हैं।


मंदिर मस्जिद और गुरूद्वावारे में जंजीर की लङी थी।
तब खाकी ही एक उम्मीद की घङी थी,

आज मुझे खाकी पर यकीन आ गया, 
क्योंकि सभी दुखों की खाकी ही जङी हैं l

जब जब विपरीत घङी थी,
तब भी पूरे जज्बे से खाकी खङी थी ।

Yogendra..

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