भोपाल की बेबी के साथ जो भयावह दुष्कर्म की घटना हुई है वह दिल को दहला देने वाली है। इसके पहले उज्जैन की छोटी बच्ची के साथ किया गया अमानवीय कृत्य हमारे स्वयं के ऊपर प्रश्न खड़ा करता है। अभी कुछ दिनों पहले ही अलीगढ़ की 2 साल की छोटी मासूम बच्ची को मात्र ₹10000 के लिए दुष्कर्म के बाद मार दिया गया, यह घटना सिर्फ एक पुरुष के द्वारा कार्य ना करते हुए एक महिला में इसमे महिला सनलिप्त पाई गई। यह पूरी घटनाएं इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारा देश भी ऐसी घटनाओं से शर्मसार होता है इस प्रकार की घटनाएं हमारे नागरिक विकास पर सीधा प्रश्न खड़ा करते हैं। ऐसी घटनाएं तो कोई अशिक्षित मूर्ख व्यक्ति ही कर सकता है। जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो हमारे राजनेता जो प्रमुख पदों पर बैठे हैं मीडिया के सामने आते हैं, अफसोस जताते हैं और यह भरोसा दिलाने की कोशिश करते हैं कि ऐसी घटना की अब पुनरावृत्ति नहीं होगी और चले जाते हैं, दूसरा पक्ष यह मांग करता है के आपमे काबिलियत नहीं है।आप इस्तीफा दें। जहां इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए उचित प्रशासनिक काम किया जाना चाहिए वहां बस यही तू तू मैं मैं की लड़ाई चलती रहती है, नुकसान होता है तो सिर्फ जनता का। राजनेता तो अपनी रोटी सेकने में सफल हो ही जाते हैं। मंसा तो सब की यही है कि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो! लेकिन कैसे?
आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश में महिला संबंधी अपराध की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है वर्ष 2017 में 2900 से भी ज्यादा 2018 में 3407 और 2019 में अब तक 1160 से भी ज्यादा अपराध पंजीबद्ध किए जा चुके हैं।
क्या सिर्फ आरोपियों को सजा दिलवाना पर्याप्त है? क्या ऐसे कर्मचारियों को दंडित करना पर्याप्त हैं, जिन्होंने अपने काम को उचित तरीके से नहीं किया? शायद नहीं।
इसका समाधान ढूंढने के लिए हमें इसके कारण कि गहराई तक जाना होगा।
हमारे देश में जनसंख्या एक बहुत बड़ी समस्या है जब तक इसको नियंत्रित नहीं किया जाता तब तक मूलभूत आवश्यकताओं को लोगों तक गुणवत्ता के साथ नहीं पहुंचाया जा सकता।
शिक्षा व्यक्ति के बौद्धिक विकास का सबसे जरूरी यंत्र है अगर व्यक्ति शिक्षित नहीं है तो वह ना तो स्वयं को समझ पाएगा ना ही किन्ही अन्य व्यक्तियों के अधिकारों को एवं उनकी भावनाओं को समझ पाएगा वह सिर्फ अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति को समझेगा इसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है।
गरीबी -हम देखेंगे कि ज्यादातर अपराध गरीब तबके के लोगों द्वारा किए जा रहे हैं जो अपने भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति उचित स्वरूप से नहीं कर पा रहे हैं।
प्रशासन का गंभीर ना होना चाहे वह राज्य प्रशासन जिला प्रशासन या पुलिस हो अगर वह अपने कार्य के प्रति सजग नहीं है तो इस प्रकार की घटनाओं को बढ़ने से नहीं रोका जा सकता है।
अन्य कई कारण भी हो सकते हैं लेकिन इन सब में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण कारण है एक शिक्षित व्यक्ति हमेशा ही ऐसे काम करता है जो उसके स्वयं के लिए एवं समाज व देश के विकास के लिए लोगों में एकता लाए, सामंजस्य लाएं। इस प्रकार के जो आपराधिक व्यक्ति होते हैं। वह कम शिक्षित होते हैं सरकारों को शिक्षा के प्रति बहुत ही सजग होने की आवश्यकता है। एक अशिक्षित समाज स्वस्थ समाज का निर्माण नहीं कर सकता निश्चित है ऐसे समाज में अपराधी ही पैदा होंगे। ऊपर के बातों से स्पष्ट है कि इस प्रकार के अपराध ज्यादातर उस कम्युनिटी में होते हैं जो निचले तबके का है जो गरीब है और अशिक्षित हैं। हम यूं कहें कि शिक्षा सभी प्रकार की कुरीतियों को खत्म करने का अचूक मंत्र है। केरल में इस प्रकार के अपराधों की संख्या कम है कारण कि वहां की शिक्षा नीति बहुत ही प्रभावशाली है। बावजूद इसके एक और कदम आगे बढ़ते हुए केरल की सरकार ने पूरे राज्य भर में सरकारी स्कूलों में 45000 स्मार्ट क्लास खोले हैं जिससे की सरकारी स्कूल में अब बच्चों के एडमिशन लेने की होड़ लग गई है। शिक्षा की ऐसी उत्तम व्यवस्था अन्य राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के द्वारा भी किया जाना चाहिए।
स्कूल शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा का व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है अगर स्कूल की शिक्षा न्यू होती है तो उच्च शिक्षा पूरा कंगूरा होता है। दुख है कि मध्य प्रदेश की शिक्षा देश भर के शिक्षा मापदंडों में सबसे निचले स्तरों में से एक है सरकार द्वारा पिछले वर्ष सेमेस्टर सिस्टम को खत्म कर दिया गया एवम पुनः वार्षिक प्रणाली को लाया गया। हमारी शिक्षा प्रणाली बच्चों को बहुत ही कार्यशील बनाने के लिए होनी चाहिए जबकि ऐसी शिक्षा प्रणाली बच्चों में काम ना करने का भाव पैदा करती है।
दरअसल अभी स्थिति यह है कि हमारे पूरे सरकारी तंत्र को भ्रष्टाचार ने खोखला कर दिया है जितने भी सरकारी अधिकारी कर्मचारी हैं वह अपने कर्तव्य को प्राथमिकता ना देते हुए उन कार्यों पर अधिक ध्यान देते हैं जिनसे उन्हें किसी ना किसी प्रकार का आर्थिक लाभ होने की संभावना बनी रहती है। यही वजह है कि वह अपने कार्य को लग्न और शीघ्रता से नहीं करते उन्हें हटाने की कोशिश करते हैं।
भोपाल में अभी हुए दुष्कर्म के मामले में जब पीड़ित परिवार पुलिस थाने पहुंचा तो पुलिस ने तुरंत एक्शन नहीं लिया उन्होंने उस में टालमटोल करने की कोशिश की अगर पुलिस उचित समय पर अपना काम करती हो सकता था बेबी की जिंदगी को बचाया जा सकता था लेकिन लगभग 4 से 5 घंटे बाद पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेना शुरू किया तब तक बहुत देर हो चुकी थी आज आवश्यकता है हर सरकारी कर्मचारी को अपने कर्तव्यों के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित बनाने की। दुर्भाग्य है की कई मामलों में हमारे जो नेता होते हैं जो किसी प्रकार के पद पर रहते हैं वह पुलिस के द्वारा की जा रही निष्पक्ष कार्यवाही में हस्तक्षेप करते हैं इस वजह से कई बार पुलिस का मनोबल भी कम होता है आवश्यकता है कि पुलिस को एक इंडिपेंडेंट एजेंसी की तरह काम करने की स्वतंत्रता दी जाए उसमें किसी भी प्रकार का बाहरी हस्तक्षेप किसी भी बड़े अधिकारी या नेता द्वारा ना किया जाए कानून को अपना काम करने दिया जहै ।
इन समस्याओं से निपटने के लिए प्रशासन को अपने सभी अंगों के साथ एकजुट हो कर ऐसा समाधान निकालने एवं बहुत कठोरता से निर्णय लेने के बाद इन पर अमल करने की आवश्यकता है। साथ ही साथ सरकारों को नई शिक्षा नीति पर जो कि राष्ट्रीय स्तर की होनी चाहिए उस पर बहुत ही गंभीरता से अमल करने की आवश्यकता है। ऐसे अपराधों का अंत मात्र दंड देने से नहीं किया जा सकता बल्कि विशाल स्तर पर सुधार करके आने वाले समय में ऐसे अपराधों की संख्या को बहुत ही कम किया जा सकता है।
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