अगर आप इस फोटो को देखेंगे इसके बाद इस वीडियो को देखते हैं,तो मैं किस बारे में कहना चाह रहा हूं यह अपने आप भी स्पष्ट हो जाएगा।
यह बड़े दुख की बात है कि भारत में इस तरह की घटनाएं काफी अधिक संख्या में होती हैं।एक ऐसा बालक जिसने अभी दुनिया में पैर भी नहीं रखा उससे कूड़े के ढेर में मरने के लिए फेंक दिया गया। यह घटना निश्चित ही हमारे दिल को दहला देने वाली है। मानवता को शर्मसार कर देने वाली है। हम इंसान हैं, इस ब्रह्मांड के सबसे समझदार प्राणी हमारा दायित्व ना सिर्फ हम इंसानों के लिए है बल्कि ब्रह्मांड के समस्त सजीव और निर्जीव, दोनों ही प्रकार के जीवो एवं पदार्थों के लिए भी बनता है। लेकिन क्या हमारी यही जिम्मेवारी है कि हम अपने ही नवजात शिशु को इस प्रकार फेंककर चले जाएं। इस छोटी सी बालिका की क्या गलती है। इसमें गलती किसकी है यह निश्चित की जानी चाहिए? इसके पीछे कारण क्या है! इसका समाधान भी निकाला जाना चाहिए। ब्रह्मांड ने ऐसी व्यवस्था की है कि हर जीव अपनी संख्या में वृद्धि कर सकें। आपने यह कभी नहीं देखा होगा कि एक जानवर अपने नवजात पैदा हुए बच्चों को छोड़कर कहीं चला जाए, ऐसा आज तक कभी नहीं हुआ। लेकिन हम इंसान अक्सर यह करते हैं हम अपने नवजात शिशुओं को एक नहीं कई बार छोड़कर, फेंककर, कभी कूड़े में, कभी नाली में, कभी खुले में, तो कभी मंदिर में छोड़ कर या फेंककर चले जाते हैं। हमारी कैसी मानवता है यह?
इस प्रकार की घटनाएं अक्सर तब होती हैं जब बच्चा किसी अविवाहित महिला को होता है या फिर किसी ऐसे संबंध से हुआ हो जिसकी समाज में स्वीकृति ना हो या अन्य शब्दों में कहें अवैध संबंधों से हुए बच्चों को ऐसा भविष्य देखना पड़ता है। जब भी एक अविवाहित युवती मां बनती है तो उसे हमारे समाज में बड़े ही अपमानजनक दृष्टि से देखा जाता है। ना केवल उस युवती को बहुत तकलीफें सहनी पड़ती है बल्कि उसके पूरे परिवार को भी बहुत ही सामाजिक अपमान का सामना करना पड़ता है। यही वजह है कि जब कभी ऐसी परिस्थितियां होती है तो मां ऐसे बच्चों को अपने पास नहीं रखती और अगर वह रखना भी चाहे तो उसका परिवार इस झूठे सामाजिक मान सम्मान के लिए उसे ऐसा ना करने को मजबूर कर देता है। कई बार तो ऐसा होता है के परिवार के सदस्य स्वयं बच्चे को मां के हाथों से छीन कर उसे फेंक देते हैं। लेकिन हम मात्र परिस्थितियों का हवाला देकर ऐसी मानवी घटना को जायज नहीं ठहरा सकते अगर समाज इसके बारे में नहीं सोच रहा है तो सरकारों को सोचना पड़ेगा।
कानूनी रूप से इस प्रकार के कृत्य अपराध है अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे न्यायालय के द्वारा दंडित किया जाएगा ऐसा कानून में प्रावधान है, लेकिन ऐसा बहुत ही कम होता है जब किसी को दंडित किया जाए, कारण यह कि उस व्यक्ति का पता ही नहीं चल पाता है कि यह बच्चा है किसका। सरकारों को इस प्रकार के मामलों में और अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है उन्हें चाहिए कि जब भी कोई महिला गर्भ धारण करें तब से ही उसे ट्रैक किया जाए, उसकी हर प्रकार की परिस्थिति को समझा जाए, उसे मदद दी जाए, अगर वह ऊपर किस श्रेणी में आती है तो समाज को समझाया जाए, अगर फिर भी बात ना बने तो सरकारों को पहल करते हुए उस महिला को अपना जीवन अपने बच्चे के साथ जीने के लिए मदद करनी चाहिए। सरकारों को समाज में इस बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है की इन पूरे घटनाक्रम में पैदा होने वाले बच्चे का कोई कसूर नहीं होता उसके साथ इस प्रकार मानवीय कृत्य करना एक अपराध है और जो भी व्यक्ति ऐसा करेगा उसे कठोर से कठोर दंड दिया जाएगा साथ ही इस प्रकार के कृत्यों के लिए कठोरतम सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए।
कई बार तो इस प्रकार की घटनाएं सिर्फ इसलिए हो जाती हैं क्योंकि पैदा होने वाला बच्चा बालक ना होकर बालिका होती है परिवार को बालक की चाह रहती है और जब बालिका होती है तो वे इसे स्वीकार भी करते उसे त्याग देते हैं हमारे समाज की इस दूषित मानसिकता को भी ठीक करने की आवश्यकता है समझाने की आवश्यकता है कि बालक और बालिका दोनों में कोई अंतर नहीं है। आज हम देखते हैं कि बच्चे का पैदा होने के पहले ही लेंगे पता लगाकर उसको मां के गर्भ मैं मार दिया जाता है इसके लिए वह डॉक्टर जो गर्भ के पहले बच्चे का लिंग बताते हैं उनके ऊपर भी शक कार्यवाही की जाए की आवश्यकता है।
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