Friday, May 24, 2019

2019 लोकसभा चुनाव परिणाम


2019 लोकसभा चुनाव परिणाम

निश्चित ही आज लोकसभा के रिजल्ट के बाद सभी लोग बहुत आश्चर्यचकित हैं कि यह असंभावित रिजल्ट कैसे आ गया, क्योंकि ऐसी कल्पना तो किसी एग्जिट पोल ने भी नहीं की थी। तो फिर यह चमत्कार कैसे हुआ, ऐसी कौन सी बात है, ऐसे कौन से  घटना क्रम हैं जिन्होंने जनता के मूड को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की बटन को दबाने से ठीक पहले चेंज कर दिया। वरना माहौल तो कांग्रेसी ने भी अच्छा सा बना ही लिया था। क्योंकि जनवरी-फरवरी के जो विभिन्न चैनलों के एक्जिट पोल बता रहे थे उसमें कांग्रेस करीब 240 के आसपास लोकसभा सीट  congress, पाने के करीब बताई जा रही थी। जबकि चुनाव आते-आते यह बिल्कुल उलट हो गया या फिर उलट से भी थोड़ा ज्यादा, कहीं ज्यादा। 20 मई को आए विभिन्न चैनलों की एग्जिट पोल की बात करें तो UPA को 129 व NDA को 288 सीटे औसत रूप से मिलने का अनुमान लगाया गया था। जबकि बीजेपी व उसके सहयोगी दल परिणाम में 300 सौ को भी क्रॉस कर गए और कॉन्ग्रेस सैकडे का आंकड़ा भी ना छु पाई।  कांग्रेस के दिग्गजों की बात तो छोड़ दीजिए स्वयं पार्टी प्रेसिडेंट राहुल गांधी अपनी सीट अमेठी से स्मृति ईरानी से अच्छे खासे अंतरों से हार गए। शायद उनको पहले ही इस बात का अंदेशा हो गया था कि यह चुनाव इतना सरल नहीं होने वाला है या अंदेशा नहीं भी था तो राहुल गांधी ने अपनी सीट को परिवर्तित करके एक संदेश दे दिया कि वह कमजोर स्थिति में है जन।इसका असर भी जनता के मन पर पड़ा राहुल गांधी की एक कमजोर लीडर की छवि उभर कर लोगों के सामने आई वैसे ऐसे बहुत सारे कारण हो सकते हैं क्यों बीजेपी ने इतना तूफानी रिजल्ट दिया उनमें से कुछ इस प्रकार हैं
  1. हिंदुत्व-  निश्चित ही bjp पार्टी नुमा  वृक्ष की जड़ हिंदुत्व से बनी हुई जिसका फायदा bjp को मिला बीजेपी ने बहुत सारे साधुवाद संतो को अपनी पार्टी में शामिल करके उंहें लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दिया जब की कांग्रेस इसकी उलट  हिंदुत्व आतंकवाद, भगवा आतंकवाद जैसे शब्दों को लगतार इस्तमाल हिंदूओ के प्रति कांग्रेस की विरोधी विचारधारा को प्रदर्शित करता है जिससे हिंदू जनमानस की कांग्रेस से दूरियां बढ़ी।
  2. कांग्रेस का  भ्रामक प्रचार- कॉन्ग्रेस हमेशा ही प्रचार के दौरान  भ्रम की स्थिति में बनी रही जिससे जब भी उस के नेता स्टार प्रचारक कहीं प्रचार करने जाते थे मोदी चोर है, चौकीदार चोर है, सिर्फ इन्हीं जुमलों पर अटके रहते थे। राहुल गांधी के द्वारा राफेल विमान खरीदारी पर मोदी को चोर कहा गया लेकिन उनके द्वारा एक भी साक्ष्य पेश नहीं किया जा  सका। बल्कि सुप्रीम कोर्ट के हवाले से ऐसा कहने पर राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट के सामने माफी तक मांगनी पड़ी जिस का असर यह हुआ कि विपक्ष की बातें जनता के लिए बेअसर हो गई। विपक्ष के द्वारा कहा जाना वाला हर शब्द जनता को झूठा ही प्रतीत हुआ।
  3. राष्ट्रवाद -बालाकोट हवाई हमला- पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन के द्वारा  crpf की टुकड़ी पर कायराना हमले के जवाब में भारतीय एयरफोर्स के द्वारा यह स्ट्राइक की गई जिस का पूरा श्रेय मोदी को गया। इससे फरवरी की माह में मोदी की लोकप्रियता और ज्यादा बढ़ गई एवं bjp द्वारा इस पूरे घटना क्रम को राष्ट्र भक्ति देश बाद से जोड़ा गया जिसे भारतीय जनता पार्टी देश की रक्षा में तत्पर एक मजबूत पार्टी के रूप में जनता के सामने स्थापित हो गई जिसका पूरा फायदा मोदी को मिला।
  4. साफ नियत- प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही अपने प्रधानमंत्री के पहले कार्यकाल में नोट बंदी जैसा अलाभकारी कदम उठाया हो इसमें भी जनता को मोदी की बदनिया नहीं दिखी  यह नहीं लगा कि उन्होंने किसी भी प्रकार की बद नियति से यह काम किया था। यह एक अच्छा अवसर हो सकता था कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों के लिए, लेकिन उन्होंने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर फोकस ना करते हुए राफेल, GST जैसे मुद्दे को ज्यादा प्राथमिकता दी जिसका घाटा इन विपक्षी दलों को उठाना पड़ा।
  5. जनता के बीच जाकर काम करना यह bjp की बहुत बड़ी शक्ति बनकर सामने आई जहां 2014 में लगभग  ढाई करोड़ कार्यकर्ता bjp के काम में शामिल थे,वही इस बार राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव के लिए  bjp के कैडर में लगभग 11 करोड़ कार्यकर्ताओं ने जनता के बीच जा जाकर लोगों को मोदी की योजनाओं के बारे में बताया, साथ ही साथ वह इसका लाभ कैसा ले यह भी सिखाया। जिस का असर यह हुआ कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के बीच मोदी की पहुंच बनी एवं जाती से ऊपर उठ के लोगों ने मोदी की विकास कारी योजनाओं को ध्यान में रखते हुए अपना  वोट bjp को दिया।
  6. विपक्षी दलों में मुख्य रूप से कांग्रेस का  कोई भी एजेंडा नहीं था इसलिए कांग्रेस ने पिछले 5 साल में बीजेपी सरकार द्वारा किए हुए काम की आलोचना करना ही अपना प्रमुख एजेंडा बनाया।जिस वजह से बीजेपी सरकार द्वारा किए हुए कामों का जनता के मध्य और अच्छे से प्रचार-प्रसार हो गया जिसका फायदा बीजेपी को मिला। अगर कॉन्ग्रेस के पास एजेंडा होता और वह इसी का प्रचार प्रसार करती तो कुछ अच्छा कर सकती थी।
  7. परिवारवाद -यह कांग्रेस पार्टी की हमेशा से कमी रही है कि उसकी संपूर्ण राजनीति एक ही परिवार के चारों तरफ घूमती रहती है कांग्रेस की राजनीति की धुरी सिर्फ और सिर्फ गांधी परिवार  है।ऐसा लगता है कि जैसे अगर वह परिवार ना रहे तो कांग्रेस पार्टी ताश के पत्तों की तरह ध्वस्त हो जाएगी। यह स्थिति जनमानस के लोगों के मध्य एक कमजोर पार्टी की छवि बनाती है जिससे लोगों का कांग्रेस पर विश्वास नहीं होता है यह आवश्यक है कि कांग्रेस आने वाले समय में लोकतांत्रिक ढांचे को अपनी पार्टी में बढ़ावा दें एवं कांग्रेस के अध्यक्ष जैसे पदों पर निर्वाचित तरीके से योग्य व्यक्ति को बैठने का अवसर दें एवं योगिता के आधार पर ही किसी भी नेता को पद प्राप्त हो।
  8. कुशल केंद्रीय कर्मठ नेतृत्व- बीजेपी में पार्टी की कमान जहां अमित शाह के हाथों पर थी वहीं नरेंद्र मोदी पर संपूर्ण जिम्मेदारी थी इसके अलावा बीजेपी ने अन्य वरिष्ठ नेताओं का भी समय-समय पर मार्गदर्शन प्राप्त किया, जबकि कांग्रेस पार्टी एक पारिवारिक पार्टी की तरह अपना संपूर्ण जिम्मा राहुल गांधी और  प्रियंका गांधी को सौंप दिया। पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को चुनाव प्रचार प्रसार व संगठन में उतनी अहमियत नहीं मिली जितनी उन्हें मिलनी चाहिए थी, जिस वजह से यह नेता पार्टी के प्रचार प्रसार में इतने एक्टिव नहीं हो पाए जितना इनसे आशा की जा रही थी।
  9. कांग्रेस का मेनिफेस्टो- कांग्रेस पार्टी का मेनिफेस्टो अपने आप में लगातार ही विवादित रहा कांग्रेस पार्टी ने देशद्रोह जैसे महत्वपूर्ण अपराध को खत्म करने की वकालत अपने मेनिफेस्टो में की। वही वह 370 पर चुप रही, जबकि बीजेपी ने स्पष्ट कहा कि वह 370 हटाएंगे जग्,अगर वह सत्ता में आए तो। इसके अलावा जेएनयू के टुकड़े-टुकड़े गैंग को कांग्रेस ने सपोर्ट किया जिनके खिलाफ में संपूर्ण भारत था। जिस वजह से कांग्रेस की छवि एक राष्ट्र विकास वादी पार्टी के रूप में नहीं बन पाई।
  10. प्रदेश सरकारों की असफलता -अभी हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में 3 बड़े राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए सरकार बनाई लेकिन जैसा कि कांग्रेस ने वादा किया था कि वह 10 दिनों के भीतर ₹200000 तक का सभी किसानों का कर्ज माफ कर देगी लेकिन 3 महीने बाद भी कांग्रेस की सरकारें यह नहीं कर पाई, बस जुमलेबाजी ही करते रह गई। जिसका जनता के मन में यह संदेश गया कि यह पार्टी सिर्फ वादे करती है निभाना नहीं जानते अगर लोकसभा चुनाव के बाद ऊपर कांग्रेस पर विश्वास किया गया तो वहां भी सिर्फ जुमलेबाजी ही मिलेगी।

यह कुछ प्रमुख कारण थे जिसके कारण कांग्रेस को चौतरफा हार का मुंह देखना पड़ा और वह पिछली बार से कुछ सीटें अधिक प्राप्त कर कर 51 सीट पर ही विजय प्राप्त कर सकी। जबकि एनडीए 348 सीटों पर विजय प्राप्त कर सकी जिसमें से अकेली भाजपा को ही 303 सीटें प्राप्त हुई। यह अभूतपूर्व परिणाम है नेहरू, इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी ऐसे तीसरे व्यक्ति हैं जो एक ही पार्टी के दम पर पूर्ण बहुमत प्राप्त करने में सफल हुए। नरेंद्र मोदी के लिए यह चुनाव का परिणाम सिर्फ विजय नहीं है बल्कि यह एक बहुत बड़ी जिम्मेवारी है। जनता का विश्वास है, कि नरेंद्र मोदी का नेतृत्व देश को विकास रूपी पंख लगा कर बहुत आगे तक ले जाएगा। इसलिए नरेंद्र मोदी एवं उनके हर सांसद को जी जान से  काम करने की आवश्यकता है।


Yogendra

2 comments:

  1. राष्ट्रवाद का मुद्दा प्रमुख था और मोदी जी की काम करने की शैली साथ साथ प्रधानमंत्री आवास योजना और उज्ज्वला योजना की वजह से भी एकतरफा वोट पड़े लेकिन एक चीज़ आज भी सोचने में मजबूर करती है कि केरल जैसे शिक्षित राज्य में bjp को एक भी सीट ना जीतना

    ReplyDelete
  2. Nationalism (I'm sad to say) is not prime thing by which people of Kerala are affected. In this election religious factors are dominated there.

    ReplyDelete

चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग

चंदा मामा दूर के नहीं अब चंदा मामा टूर के हो गए हैं बड़ा ही भावुक समय था चंद्रयान को चंद्रमा की धरती पर लैंड करते हुए देखना, पहल...