Friday, May 31, 2019
क्या राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए!
Sunday, May 26, 2019
भागती जिंदगी
जिंदगी है ही इतनी व्यापक। पर अगर आप अपने अद्वितीय, अनमोल अनुभव
Saturday, May 25, 2019
जिम्मेवार कौन
sarcasm by bharat
Friday, May 24, 2019
2019 लोकसभा चुनाव परिणाम
- हिंदुत्व- निश्चित ही bjp पार्टी नुमा वृक्ष की जड़ हिंदुत्व से बनी हुई जिसका फायदा bjp को मिला बीजेपी ने बहुत सारे साधुवाद संतो को अपनी पार्टी में शामिल करके उंहें लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दिया जब की कांग्रेस इसकी उलट हिंदुत्व आतंकवाद, भगवा आतंकवाद जैसे शब्दों को लगतार इस्तमाल हिंदूओ के प्रति कांग्रेस की विरोधी विचारधारा को प्रदर्शित करता है जिससे हिंदू जनमानस की कांग्रेस से दूरियां बढ़ी।
- कांग्रेस का भ्रामक प्रचार- कॉन्ग्रेस हमेशा ही प्रचार के दौरान भ्रम की स्थिति में बनी रही जिससे जब भी उस के नेता स्टार प्रचारक कहीं प्रचार करने जाते थे मोदी चोर है, चौकीदार चोर है, सिर्फ इन्हीं जुमलों पर अटके रहते थे। राहुल गांधी के द्वारा राफेल विमान खरीदारी पर मोदी को चोर कहा गया लेकिन उनके द्वारा एक भी साक्ष्य पेश नहीं किया जा सका। बल्कि सुप्रीम कोर्ट के हवाले से ऐसा कहने पर राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट के सामने माफी तक मांगनी पड़ी जिस का असर यह हुआ कि विपक्ष की बातें जनता के लिए बेअसर हो गई। विपक्ष के द्वारा कहा जाना वाला हर शब्द जनता को झूठा ही प्रतीत हुआ।
- राष्ट्रवाद -बालाकोट हवाई हमला- पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन के द्वारा crpf की टुकड़ी पर कायराना हमले के जवाब में भारतीय एयरफोर्स के द्वारा यह स्ट्राइक की गई जिस का पूरा श्रेय मोदी को गया। इससे फरवरी की माह में मोदी की लोकप्रियता और ज्यादा बढ़ गई एवं bjp द्वारा इस पूरे घटना क्रम को राष्ट्र भक्ति देश बाद से जोड़ा गया जिसे भारतीय जनता पार्टी देश की रक्षा में तत्पर एक मजबूत पार्टी के रूप में जनता के सामने स्थापित हो गई जिसका पूरा फायदा मोदी को मिला।
- साफ नियत- प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही अपने प्रधानमंत्री के पहले कार्यकाल में नोट बंदी जैसा अलाभकारी कदम उठाया हो इसमें भी जनता को मोदी की बदनिया नहीं दिखी यह नहीं लगा कि उन्होंने किसी भी प्रकार की बद नियति से यह काम किया था। यह एक अच्छा अवसर हो सकता था कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों के लिए, लेकिन उन्होंने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर फोकस ना करते हुए राफेल, GST जैसे मुद्दे को ज्यादा प्राथमिकता दी जिसका घाटा इन विपक्षी दलों को उठाना पड़ा।
- जनता के बीच जाकर काम करना यह bjp की बहुत बड़ी शक्ति बनकर सामने आई जहां 2014 में लगभग ढाई करोड़ कार्यकर्ता bjp के काम में शामिल थे,वही इस बार राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव के लिए bjp के कैडर में लगभग 11 करोड़ कार्यकर्ताओं ने जनता के बीच जा जाकर लोगों को मोदी की योजनाओं के बारे में बताया, साथ ही साथ वह इसका लाभ कैसा ले यह भी सिखाया। जिस का असर यह हुआ कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के बीच मोदी की पहुंच बनी एवं जाती से ऊपर उठ के लोगों ने मोदी की विकास कारी योजनाओं को ध्यान में रखते हुए अपना वोट bjp को दिया।
- विपक्षी दलों में मुख्य रूप से कांग्रेस का कोई भी एजेंडा नहीं था इसलिए कांग्रेस ने पिछले 5 साल में बीजेपी सरकार द्वारा किए हुए काम की आलोचना करना ही अपना प्रमुख एजेंडा बनाया।जिस वजह से बीजेपी सरकार द्वारा किए हुए कामों का जनता के मध्य और अच्छे से प्रचार-प्रसार हो गया जिसका फायदा बीजेपी को मिला। अगर कॉन्ग्रेस के पास एजेंडा होता और वह इसी का प्रचार प्रसार करती तो कुछ अच्छा कर सकती थी।
- परिवारवाद -यह कांग्रेस पार्टी की हमेशा से कमी रही है कि उसकी संपूर्ण राजनीति एक ही परिवार के चारों तरफ घूमती रहती है कांग्रेस की राजनीति की धुरी सिर्फ और सिर्फ गांधी परिवार है।ऐसा लगता है कि जैसे अगर वह परिवार ना रहे तो कांग्रेस पार्टी ताश के पत्तों की तरह ध्वस्त हो जाएगी। यह स्थिति जनमानस के लोगों के मध्य एक कमजोर पार्टी की छवि बनाती है जिससे लोगों का कांग्रेस पर विश्वास नहीं होता है यह आवश्यक है कि कांग्रेस आने वाले समय में लोकतांत्रिक ढांचे को अपनी पार्टी में बढ़ावा दें एवं कांग्रेस के अध्यक्ष जैसे पदों पर निर्वाचित तरीके से योग्य व्यक्ति को बैठने का अवसर दें एवं योगिता के आधार पर ही किसी भी नेता को पद प्राप्त हो।
- कुशल केंद्रीय कर्मठ नेतृत्व- बीजेपी में पार्टी की कमान जहां अमित शाह के हाथों पर थी वहीं नरेंद्र मोदी पर संपूर्ण जिम्मेदारी थी इसके अलावा बीजेपी ने अन्य वरिष्ठ नेताओं का भी समय-समय पर मार्गदर्शन प्राप्त किया, जबकि कांग्रेस पार्टी एक पारिवारिक पार्टी की तरह अपना संपूर्ण जिम्मा राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को सौंप दिया। पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को चुनाव प्रचार प्रसार व संगठन में उतनी अहमियत नहीं मिली जितनी उन्हें मिलनी चाहिए थी, जिस वजह से यह नेता पार्टी के प्रचार प्रसार में इतने एक्टिव नहीं हो पाए जितना इनसे आशा की जा रही थी।
- कांग्रेस का मेनिफेस्टो- कांग्रेस पार्टी का मेनिफेस्टो अपने आप में लगातार ही विवादित रहा कांग्रेस पार्टी ने देशद्रोह जैसे महत्वपूर्ण अपराध को खत्म करने की वकालत अपने मेनिफेस्टो में की। वही वह 370 पर चुप रही, जबकि बीजेपी ने स्पष्ट कहा कि वह 370 हटाएंगे जग्,अगर वह सत्ता में आए तो। इसके अलावा जेएनयू के टुकड़े-टुकड़े गैंग को कांग्रेस ने सपोर्ट किया जिनके खिलाफ में संपूर्ण भारत था। जिस वजह से कांग्रेस की छवि एक राष्ट्र विकास वादी पार्टी के रूप में नहीं बन पाई।
- प्रदेश सरकारों की असफलता -अभी हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में 3 बड़े राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए सरकार बनाई लेकिन जैसा कि कांग्रेस ने वादा किया था कि वह 10 दिनों के भीतर ₹200000 तक का सभी किसानों का कर्ज माफ कर देगी लेकिन 3 महीने बाद भी कांग्रेस की सरकारें यह नहीं कर पाई, बस जुमलेबाजी ही करते रह गई। जिसका जनता के मन में यह संदेश गया कि यह पार्टी सिर्फ वादे करती है निभाना नहीं जानते अगर लोकसभा चुनाव के बाद ऊपर कांग्रेस पर विश्वास किया गया तो वहां भी सिर्फ जुमलेबाजी ही मिलेगी।
Thursday, May 23, 2019
Choose to live Life
हीरा जन्म अनमोल था, कौड़ी बदले जाए।।
Thursday, May 16, 2019
Dying justice
False rape cases have taken many male lives in India
Men’s rights groups and some lawyers believe these false allegations of rape by women who have been in consensual relationships trivialize the seriousness of rape.
Recently, a TV actor and singer Karan Oberoi was arrested for raping a woman under the pretext of marriage and filming the act and also threatening her for money; the case is in the court, two hearing are done and now third to continue in coming time. There are people who strongly believe that a woman has falsely implicated him and in spite of all the proofs no justice is done to him. Well! Something strange is going on in India. Women are becoming more educated and confident. Pre-marital sex is on the rise – but at the same time, so are the numbers of women alleging rape on false promise of marriage. Much mention have been made mostly by men of false rape accusations and how frequently they occur. Falsely accusing a person of sexual assault is nearly as appalling as sexual assault itself. It inflicts psychic, familial, reputational and professional harms that can last a lifetime. This is nothing to scoff at.
According to the National Crime Records Bureau, a total of 38,947 rape cases were reported in India in 2016. In 10,068 cases – about a quarter – the women claimed it was rape on false promise of marriage. In Andhra Pradesh state, 45% of all rape cases filed in the past two years fell into the false marriage category. In 2014, several newspapers of India have covered the data of Delhi Commission of Women (DCW), which states that 53.2% of the rape cases in Delhi, filed between April 2013 and July 2014 were found to be ‘false’. When a relationship ends, women who have had consensual sex (sometimes flirtation but no sex) make false complaints of rape under promise of marriage out of vengefulness, to hurt the man. Or they do it to extort money out of him, promising to withdraw the charge if he gives them what they want or just to damage a man leaving no right to dignity for him. There can be any reason behind such cases but the one who gets convicted loses almost everything. Perhaps that can be the motive too.
In many cases, false rape accusations are simply the result of parents covering up the “shame” of an unmarried daughter having sex. When parents discover their unmarried daughters are in a sexual relationship, their horror at potential “dishonour” to the family name leads many to make spurious allegations of rape, having first bullied their children into submission. By their logic, saying a daughter has been raped is preferable to people thinking she is sexually active. Time and again, it was the same story: the victim had been picked up in a moving car, given a drink laced with tranquilizers to render her oblivious, and raped. Or the gut got in relation, asked for nude pictures, filmed the act and dumped her for another prospect. You go to any police station or court or lawyer, you will find thousands of such similar cases. The recurrence of the sedative-laced drink seemed striking. This allegation is important because it is necessary to show that consent was not given, to protect the girl’s character. But in this ugly spat, one forgets the reputation of man, who is not as bad as projected. Same stories can be found in 75 out of 100 such cases. Only the names, dates and locations are different, otherwise they all narrate the story of sedatives and drinks when in fact the girls were in a relationship and willingly having sex. They exchange gifts, have merry time and do all that mutually, but when he moves on he becomes rapist if she moves on and guy pursues then to he becomes stalker or rapist. In both the cases hammer is hit on male’s head. These days being in relation is very serious crime, you never know what could be the outcome. Marriage and divorces has another stigma, 498A is used, as tool to extort what woman wants. Most of the divorce cases, men are merely subjected to all sorts of cruelty. This is how our laws are, they are made to protect womanhood but the modern woman has made them instrument to seek revenge. Visit any family court you will see those men who are actually shattered from all the sides, stand as losers but woman with vendetta pretends to be the innocent victim. Not all the cases are like this but yes, most of them are.
Men’s rights groups and some lawyers believe these false allegations of rape by women who have been in consensual relationships trivialize the seriousness of rape. They raise plenty of questions, too. Even if a man promised to marry a woman, can he not change his mind? How can judges determine a man’s sincerity or falsity in talking of marriage? Even more troubling is that the notion of sex constituting rape if a man “reneges” on a promise of marriage is not in the penal code. It has evolved on a case-by-case basis as a result of judges choosing to interpret the notion of “consent” in this fashion. As a consequence, men can be charged with rape if they falsely obtain consent for sex by promising to marry a woman and then changing their mind. The only solace for men who have been falsely accused is that many of these cases are thrown out of court. The Supreme Court ruling last month, for example, related to a nurse at a government hospital in Maharashtra. She was a widow who fell in love with a doctor and moved in with him. After living together for some years, he left her and married someone else. The judges said that having lived with the man for some years, the nurse could not allege rape. They pointed out that it was possible the doctor, on account of circumstances he could not have foreseen or could not control, was not able or willing to marry her. Whatever the reason, it was not rape. The doctor was acquitted. But between the arrest and the acquittal lies much distress. I have come across many shattered men. Their trust in human relationships is destroyed. They withdraw into a shell, not knowing who they can trust and they are very frightened of embarking on another relationship. I have seen those men who lost faith in living life while languishing in jail for no reason, under trial cell is another harassment, you cannot imagine this hell until you land there. They die their death every moment, clueless of everything. This is the cruelest abuse before they actually get punished or acquittal.
In India many men suffered trials being in Jail under the false. In 2014, 25,000 rape cases registered out of which 76% were false. 30,000 molestation cases, but 75% were FALSE. 1,00,000 DV/Dowry cases but 98% were FALSE. Men jailed due to false Dowry cases are more than 11,00,000. Women (mother-in-law, sister-in-law) jailed due to false Dowry cases are more than 5,00,000. Senior citizens and children (below age of 15 years including boys & girls) jailed due to false Dowry cases are more than 2,00,000. Male suicides due to DV & DOWRY CASES are more than 85,000 every year. Male suicides due to FALSE Rape CASES are more than 10,000 every year. Male suicides due to false molestation cases are 3,500 every year. India reports maximum male suicides 1 man/8minutes compared to 1-woman/28 minutes. These figures are just in police records. Our society and media are very much focused on women harassment cases. But what about when a man is harassed? How long we are going to be gender biased?
Wednesday, May 15, 2019
प्रकाश मयी ईश्वर
वैसे तो यह मन हर पल ईश्वर की तलाश में रहता है, लेकिन जब भी जीवन में कठिन परिस्थितियां आती है, व्यक्ति विषम परिस्थितियों से जूझता है तब वह अपने आप को ईश्वर के ज्यादा करीब पाता है। लेकिन सामान्य भाषा में ईश्वर क्या है अरे, कहां रहता है, वह कैसा दिखता है, उसका क्या काम है, उसका स्वरूप क्या है, उसका आकार क्या है, क्या यह संपूर्ण ब्रह्मांड ईश्वर के द्वारा संचालित होता है, यह सारे प्रश्न जब भी हम ईश्वर के बारे में सोचते हैं हमारे मन में उठ खड़े होते हैं। जब हम आंखें बंद करते हैं तो हमें अंधकार दिखता है उस अंधकार में हमें छटपटाहट होने लगती है घबराहट होने लगती है, कोई रास्ता नहीं दिखता यह मन की वह स्थिति होती है कि इस समय मन कहीं भी जा सकता है ब्रह्मांड के किसी भी स्थिति की कल्पना कर सकता है या वह अपने आपको वहां स्थापित कर सकता है वहां से उपस्थित हो सकता है यह बिल्कुल उसी तरह है जिस प्रकार अंतरिक्ष में जहां प्रकाश नहीं है वहां हम उपस्थित हैं हमें कुछ नहीं दिख रहा है। चारों तरफ घोर अंधकार है। इस अंधकार में अगर हमें कहीं प्रकाश दिख जाए तो समझ लो वह ईश्वर है। बिल्कुल यही सिद्धांत हम सबके जीवन में भी लागू होता है यह जीवन यह, नश्वर काया और इनकी अनिश्चित आकांक्षाओं की पूर्ति के अंधकार में व्यक्ति संपूर्ण जीवन भर उलझा रहता है। इस पूरी पृथ्वी में से कुछ लोग ही होते हैं जो इस अंधकार से बाहर आ पाते हैं वे इस अंधकार भरे जीवन में प्रकाश मई ईश्वर को खोज लेते हैं। यह वह स्थिति होती है जब जीवन इस भौतिक विश्व की भौतिकवादी वस्तुओं से परे हो जाता है मनुष्य इस स्थिति में बस तटस्थ रहकर इन भौतिकवादी वस्तुओं का उचित उपयोग करता है। जिस समय मनुष्य इस स्थिति को प्राप्त कर लेता है यह कहा जा सकता है कि वह प्रकाश मई ईश्वर को प्राप्त करने के बहुत करीब आ गया है। यह सुनिश्चित हो जाता है कि उसका यह जीवन इस ईश्वर ने जिस लिए उसे यहां भेजा था वह सफल हो गया हो गया।
चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग
चंदा मामा दूर के नहीं अब चंदा मामा टूर के हो गए हैं बड़ा ही भावुक समय था चंद्रयान को चंद्रमा की धरती पर लैंड करते हुए देखना, पहल...
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