Friday, February 28, 2020

जब तुम मिलने आओगी ,बोलो क्या कहर बरपाओगी

बोलो तुम क्या करोगी!


तुमने जो वादा किया था मैं निभाने का वक्त आ गया

कहा था मिलने को तो मिलने का वक्त आ गया।

मिलोगी या हर बार की तरह इस बार भी कोई बहाना बना कर चली जाओगी

बोलो क्या करोगी,

जब तुम मिलने आओगी बोलो क्या-क्या कहर बरपाओगी।।


मैं तुमको लेने आऊंगा या तुम खुद चल कर आओगी

साफ स्पष्ट शब्दों में कह दो

सीधे-सीधे मिलने आओगी या वही पुराने नखरे दिखलाओगी

जब तुम मिलने आओगी बोलो क्या-क्या कहर बरपाओगी।।


सीधी सिंपल बनकर आओगी या हाई हील लगाओगे

पूरे कपड़े पहने होगी या कटे-फटे दिखलाओगी

चेहरा सादा सिंपल होगा या मेकअप पोत के आओगी

बोलो क्या सिंगार रचाओगी

जब तुम मिलने आओगी बोलो क्या-क्या कहर बरपाओगी।।


कहीं मुझे ले जाओगी या खड़े-खड़े बातें निपटाओगी

गाड़ी वाड़ी लगवाओगी या पदयात्रा  करवाओगी

कुछ मुझे खिलाओगे या खाली पेट ही पूजा करवाओगी

बोलो और क्या कहर बरपाओगी जब तुम मिलने आओगी।।


हाथ थाम के चलोगी मेरा या दूरियां बनाओगी

कदमों से कदम मिलाओगी या न‌ई ताल  सिखलाओगी

कुछ दूर तो हाथ थाम के चल लेना, तड़पता छोड़ मुझे चली जाओगी

फिर ना जाने कब मिलने आओगी।।

और फिर जब तुम मिलने आओगी कुछ नया कहर बरपाओगी।।

बोलो तुम क्या करोगी

जब तुम मिलने आओगी बोलो क्या-क्या कहर बरपाओगी।।


Subhash.. कहत कवि

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