Monday, February 3, 2020

Aapka Rabish kumar


लोगों को नकारात्मकता देखने की इतनी आदत हो चुकी है कि हर एक सकारात्मक चीज को भी हर एक जश्न की विषय वस्तु को भी किस प्रकार से नकारात्मकता मैं परिवर्तित किया जा सकता है इसका बहुत महत्वपूर्ण उदाहरण इस छोटे से व्यंग में छुपा हुआ है।

भले हमने 5-0 से न्यूज़ीलैंड को क्लीन स्वीप कर दिया हो लेकिन आज एक बार फिर से हम भारतीय समाज और संस्कार की परिपाटी पर बुरी तरह असफल हुए हैं। जिस न्यूज़ीलैंड के यहां इतने दिन हम मेहमान बनकर रहें, घूमें फिरे, खाया पिया उसे हमने क्या दिया? हमने अपने मेजबान को बर्बरता पूर्वक रौंद दिया। क्या हमारी भूख इतनी बढ़ गई है की सीरीज जीतकर भी आखिरी के दो मैच नहीं हार सकते? देश का युवा इसपर सरकार से सवाल पूछने के बजाय जश्न मना रहा है।

जीत की खुमारी में डूबे हुए लोग भविष्य के भयानक मंजर को नहीं देख पा रहे हैं। जिन गेंदबाज़ों को हमारे खिलाड़ियों ने धोया या जिन बल्लेबाज़ों के हमने आउट किया सोचिये उनके परिवार वालों पर क्या गुजरी होगी। उनके बच्चों के अंदर विरोध का बिगुल बजना शुरू हो गया होगा। इसी बदले की भावना के उन्माद में यदि वो कल को बंदूक उठा ले तो बड़ी आसानी से उन्हें आतंकी कह दिया जाएगा। 

आखिर क्या मिल गया हमें सीरीज जीतकर? हम मैच जीतें लेकिन न्यूजीलैंड वालों का दिल हार गयें। याद रखिये ये जश्न आनेवाले भयानक मंजर का द्योतक है। मैं देश के युवाओं से अपील करता हूँ की क्रिकेट देखना बन्द कीजिये तथा नरेंद्र मोदी और अमित शाह से सवाल कीजिए।

सवाल कई हैं लेकिन जवाब कोई नहीं।

-- आपका रबीश  कुमार

No comments:

Post a Comment

चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग

चंदा मामा दूर के नहीं अब चंदा मामा टूर के हो गए हैं बड़ा ही भावुक समय था चंद्रयान को चंद्रमा की धरती पर लैंड करते हुए देखना, पहल...