सतयुग, द्वापर युग, त्रेता युग और अब आया है इंटरनेट युग! ज्ञान का युग! ज्ञान का भंडार इतना कि इसे ग्रहण करने वालों की कमी है, पर देने वालों की कमी नहीं है, पर हैरत की बात है इतने ज्ञानी पुरुषों के होने के बाद भी हमारे देश की समस्याएं कम नहीं हो रही है। यह वही ज्ञानी लोग हैं जिनके पास आपके हर सवाल का जवाब और आपके हर विचार पर प्रतिक्रिया देने का ज्ञान होता है। राजनीतिक मुद्दों से लेकर किचन में बनने वाली रेसिपी तक -विशिष्ट ज्ञानियों के सुझावों की कमी नहीं है। हिदायतों की तो हद ही नहीं, व्हाट्सएप -फेसबुक पर आपको क्या करें या क्या ना करें की फेहरिस्त मिल जाएगी। कभी-कभी आभास होता है कि विचार की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है शायद इन्हें विशिष्ट रूप से दिया गया है और यह उसका उपयोग भी बखूबी कर रहे हैं फिर सोशल मीडिया की तकनीकी क्रांति ने सोने पर सुहागा का काम किया और थमा दिया सब के हाथों में हथियार जो ब्रह्मास्त्र से कम नहीं है और यह प्रजाति इस वरदान को व्यर्थ कैसे जाने दे, तो बांट रहे हैं मुफ्त का ज्ञान! अरे भाई, वह भी निष्ठा पूर्वक, अपने मूल कर्तव्य परायणता के साथ। परायणता के साक्ष्य तो दिखाएं, जिस दिन ज्ञान के दो -तीन गोले ना फेंक दें तो चैन कहां और अगर चूक गए तो रेंटेक की गोलियां खानी पड़ जाए। काश इन ज्ञान की नदियों में कोई फिल्टर होता या इनकी सत्यता जांचने का उपकरण, जिसे जांचने के ही बाद लोग उस पर अमल करते, ना की धृतराष्ट्र की तरह उस पर विश्वास करते।
खैर अब ज्ञानी कौम को इनका काम करने दीजिए बहुत ही व्यस्त हैं। मार्केट में बहुत वर्क लोड है, और कंपटीशन भी, कि कौन कितना ज्यादा ज्ञान बाटेगा। बस आप सावधान रहिए ज्ञान की नदियों का बहाव तेज है, तैरना सीख लीजिए बहने के मौके संभवतः ज्यादा है।
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