Wednesday, July 31, 2019

ट्रिपल तलाक कानून और उसके मायने

ट्रिपल तलाक कानून और उसके मायने

 अभी हाल ही में केंद्र सरकार के द्वारा पहले तो लोकसभा में मुस्लिम समाज द्वारा दिए जाने वाले त्वरित तलाक या अन्य शब्दों में कहें तो ट्रिपल तलाक के ऊपर बिल पेश किया गया जिसे लोकसभा में बहुमत से ध्वनि मत से पारित कर दिया गया, वही बिल जब राज्य सभा में , सभा का अनुमोदन प्राप्त करने के लिए रखा गया तो वहां यह स्थिति काफी संकट में थी क्योंकि भारतीय जनता पार्टी का बहुमत राज्यसभा में नहीं है। इन परिस्थितियों में सरकार के द्वारा राज्यसभा से इस बिल को पास कराना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं था। लंबी बहस के बाद जो लगभग 5 घंटे चली सरकार के मंत्री रविशंकर प्रसाद के द्वारा इस विषय पर सभी पार्टियों का मत प्राप्त करने की भरपूर कोशिश की लेकिन दुर्भाग्य रहा की जहां कांग्रेस जैसी पार्टी ने इस बिल के खिलाफ वोटिंग की वहीं जेडीयू, एआईडीएमके जैसी पार्टियों ने इस बिल के विरोध में राज्यसभा से वाकआउट किया। इस वकआउट की वजह से  बहुमत की संख्या कम हो गई अंततः जब वोटिंग हुई उस समय बिल के समर्थन में 99 एवं इसके विरोध में 83 वोट पड़े और इस प्रकार यह बिल राज्यसभा से पास हो गया, अब इसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा जहां राष्ट्रपति के अनुमोदन के पश्चात इसे भारत की गजट में प्रकाशित किया जाएगा और उसी में उस तिथि का लेख भी किया जाएगा जिस दिन से यह अधिनियम संपूर्ण देश में लागू होगा।

भारत के राजनीतिक विश्लेषक, समाज विद एवं अन्य अग्रणी व्यक्ति इस बिल को,  इस कानून को ऐतिहासिक बताते हैं। वे कहते हैं इस कानून के द्वारा मुस्लिम समाज की महिलाओं को स्वतंत्रता प्राप्त होगी, उन्हें एक अच्छा जीवन जीने का हक मिलेगा। मुस्लिम महिलाओं को एक तरफा तलाक के धार्मिक कानून से मुक्ति मिलेगी अब मुस्लिम महिलाओं को उनके पतियों के द्वारा तलाक तलाक तलाक ऐसा कह कर तलाक नहीं दिया जा सकेगा।

तलाक का यह तरीका बहुत सारे मुस्लिम देशों जैसे कि ईरान, इराक, पाकिस्तान  जोकि यहां के संविधान के अनुसार एक मुस्लिम देश हैं, में 1950 के दशक के पहले ही समाप्त किया जा चुका है, फिर भी भारत,  जो कि एक लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष देश है उसमे इतने लंबे समय तक यह जीवित रहा यह स्वयं भारत की पंथनिरपेक्ष, धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था का अपमान था। यह इस देश की राजनीतिक पार्टियों की वोट बैंक की सोच का नतीजा ही था कि इस प्रकार की कुप्रथा को जिसे बहुत पहले ही समाप्त कर दिया जाना चाहिए था किसी भी राजनीतिक पार्टी ने इसे समाप्त करने के बारे में नहीं सोचा। उसे हमेशा ही यह लगा कि अगर वह इससे छेड़छाड़ करते हैं तो उनका मुस्लिम समुदाय का वोट बैंक चला जाएगा।

 देर आए दुरुस्त आए। अब वह काला अध्याय समाप्त हो चुका है।

सरकार द्वारा बनाए इस विधेयक की बात करें तो अब जो कोई व्यक्ति जो मुस्लिम समाज का है अगर वह अपनी पत्नी को एक ही बार में 3 शब्दों तलाक तलाक तलाक का इस्तेमाल करते हुए या कानूनी प्रक्रिया का अनुसरण किए बिना छोड़ देता है तो यह क्रिया इस कानून के तहत एक अपराध मानी जाएगी। जिसकी रिपोर्ट पुलिस थाने में जाकर स्वयं पीड़ित महिला के द्वारा या फिर महिला के सगे संबंधियों द्वारा की जा सकती है। इस कानून में इस आपराधिक क्रिया को गैर जमानती बनाया गया है जहां पहले इसमें यह निर्देश था कि मजिस्ट्रेट के द्वारा भी इसमें अपराधी को जमानत नहीं दी जाएगी वही इसे अब परिवर्तित करके मजिस्ट्रेट के द्वारा जमानत देने योग्य बना दिया गया है। अगर इसमें किसी व्यक्ति का अपराध सिद्ध पाया जाता है तो उसे 3 साल तक की जेल हो सकती है। कानून का स्वरूप ही होता है अपराधियों को रोकना और लोगों में भय पैदा करना ताकि वह इस अपराध को ना करें। इसीलिए हर अपराधिक कृत्य में दंड के स्वरूप का समावेश किया जाता है, जैसा इसमें किया गया है।

निश्चित ही इस कानून का बहुत व्यापक असर होने वाला है क्योंकि अक्सर यह देखने को मिलता था की कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को एक चिट्ठी लिखकर उसमें तीन बार तलाक लिखकर तलाक दे देता था तो कोई किसी अन्य महिला के साथ संबंधों में आकर अपनी पत्नी को तलाक दे देता था कोई केवल इसलिए तलाक दे देता था की महिला ने अपने बच्चों के लिए पति से दूध के लिए पैसे मांगे, कोई इसलिए तलाक दे देता था क्योंकि उस महिला को सिर्फ बेटियां ही पैदा हो रही थी कोई इसलिए तलाक दे देता था की उसकी पत्नी ने खाना अच्छा नहीं बनाया और ना जाने ऐसे किन किन वहानों से मुस्लिम महिलाओं साथ अत्याचार होता आ रहा था। अब कानून के भय से, जेल जाने के डर से कम से कम इस पर अंकुश लगेगा, तलाक की जो नियत प्रक्रिया है उसका पालन किया जाएगा।

तलाक की नियत प्रक्रिया

मुस्लिम धर्म में पुरुषों को निर्णायक रूप से वर्चस्व दिया गया है वहां कहीं भी महिलाओं को पुरुषों के समकक्ष नहीं रखा गया है उन्हें पर्दे के पीछे रहने का निर्देश है। व्यवस्था कुछ ऐसी बनती है कि मुस्लिम समाज में महिलाएं सिर्फ उपयोग की वस्तु बन कर रह जाती हैं उनका औचित्य सिर्फ संतान उत्पत्ति तक रह जाता है। पुरुष जब चाहे तब उनका त्याग करने का निर्णय ले सकता है एवं जब चाहे तब कोई दूसरा विवाह भी कर सकता है। मुस्लिम समाज में विवाह एक संविदा है जिसे कभी भी तोड़ा जा सकता है जिसे मुस्लिम धर्म में तलाक कहा गया है। मुस्लिम धर्म में मुख्य रूप से दो प्रकार के तलाक होते हैं

 तलाक ऐ विद्दत - यह वही तलाक है जिसमें पति अपने पत्नी को सिर्फ तीन बार तलाक शब्द का उच्चारण करके त्याग देता है। इसे तो इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान  मे भी मना किया गया है उसमे जगह नहीं मिली है। लेकिन भारत के कट्टरपंथी मुस्लिम समाज के धर्म गुरु अपनी पैठ बनाने के लिए, अपना वर्चस्व बनाने के लिए लगातार इसका उपयोग करने को प्रोत्साहित करते रहे हैं। उन्होंने कभी भी इसका विरोध नहीं किया वह हमेशा मुस्लिम महिलाओं को दबाकर रखना चाहते थे। इसीलिए इस प्रकार के तलाक को वह लोग व्यक्तिगत कानून बोलकर सरकारों को इसमें हस्तक्षेप  ना करने के लिए कहा करते थे।

  तलाक  ऐ हसन- इस प्रकार की तलाक  में प्रक्रिया का पालन किया जाता है जिसने कम से कम 3 महीने का समय लगता है तलाक किसी कम से कम 2 गवाहों के समक्ष दिया जाता है उसके समक्ष उचित कारण रखे जाते हैं एवं अंत में इसे मुस्लिम समाज का कोई धर्मगुरु अपनी सहमति देता है तब ही यह तलाक हुआ ऐसा माना जाता है

 तो अब तलाक किस प्रकार होगा

 अब तलाक के लिए दूसरे प्रकार का तलाक जिसे तलाक ए हसन कहा जाता है इस प्रक्रिया का पालन करना होगा जिसमें पुरुष को उचित कारण बताते हुए कम से कम दो गवाहों के समक्ष 3 महीने में तीन बार तलाक इस शब्द का उच्चारण करना होगा अंत में धर्मगुरु की सहमति के बाद ही तलाक हो सकेगा।

 कानून का दुरुपयोग

जब भी कोई कानून बनता है उसके दुरुपयोग की संभावना हमेशा बनी रहती है जिस प्रकार भारत में दहेज को रोकने के लिए दहेज विरोधी कानून बनाए गए थे उसका बहुत विस्तृत स्तर पर दुरुपयोग होने लगा ना जाने उससे कितने ही परिवार तबाह हो गए ना जाने इस कानून के दुरुपयोग से कितने ही लोगों ने आत्महत्या कर ली। इसके अलावा अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में छुआछूत को दूर करना था इस कानून का भी बहुत ही दुरुपयोग हुआ हर छोटे-मोटे विवाद में इस कानून को बेवजह ही हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा था ऐसे बहुत से कानून है जिनका दुरुपयोग होता रहा है इन दोनों कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ वर्षों पश्चात ही दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके साथ ही भारत में अन्य महिला संबंधी कानून का भी बहुत ज्यादा दुरूपयोग हो रहा है जैसे घरेलू हिंसा अधिनियम, आईपीसी में उपलब्ध बलात्कार कानून एवं छेड़छाड़ के कानूनों का बेजा दुरुपयोग हो रहा है। इसका सबसे ताजा उदाहरण भारत के मुख्य न्यायाधीश के ऊपर लगने वाला यौन उत्पीड़न का आरोप है जो बाद में झूठा पाया गया था।

तो यहां बस जरूरत इसी बात की है कि सरकारें और वह एजेंसियां जो इस तलाक के कानून को क्रियान्वित करेंगी,  बहुत ही बारीकी से काम करें ताकि इस कानून का दुरुपयोग ना हो पाए।

 अंत में शाहबानो से लेकर अपने हक के लिए लड़ने वाली सभी मुस्लिम समाज की महिलाओं को बहुत-बहुत बधाई।

Please subscribe, share, like and comment

5 comments:

  1. Historical moment!! after recognising LGBT commmunity rights now abolishing talaq e biddat it seems new india started its journey off....removing irrelevant conventional orthodox shackles of so called bad social practices.one more steps towards gender equality but still miles to go.Definitely booster for muslim women.

    ReplyDelete
    Replies
    1. what I think , its good but amendment in RTI is not progressive .

      Delete
    2. its a civil wrong doing ,,,do u think criminal liability is a good solution,, can u say it wd not be mis used like other woman centric law

      Delete
  2. What they are doing with RTI act definitely not beneficial for public..but dats the other sort of statute here i was appraising the transformation from narrow to wider perspective..things society started accepting..radical change in way of acceptance in indian society though slow as compared to other culture/ societies.

    ReplyDelete
  3. And about criminal liability..i personally feel that conditions of women in muslim community are quite derogatory so imposing it as criminal liability definitely help this section of women, who get exploited on petty issues by muslim men armed with this destructive weapon.Couldn't agree more dat women centric laws are getting misused but could pay heed y actually laws are misused..instead of labelling women misusing law better to find root cause n work on it..surely judiciary will play crucial role in curtailing this kind of malpractices.

    ReplyDelete

चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग

चंदा मामा दूर के नहीं अब चंदा मामा टूर के हो गए हैं बड़ा ही भावुक समय था चंद्रयान को चंद्रमा की धरती पर लैंड करते हुए देखना, पहल...