Wednesday, July 31, 2019

ट्रिपल तलाक कानून और उसके मायने

ट्रिपल तलाक कानून और उसके मायने

 अभी हाल ही में केंद्र सरकार के द्वारा पहले तो लोकसभा में मुस्लिम समाज द्वारा दिए जाने वाले त्वरित तलाक या अन्य शब्दों में कहें तो ट्रिपल तलाक के ऊपर बिल पेश किया गया जिसे लोकसभा में बहुमत से ध्वनि मत से पारित कर दिया गया, वही बिल जब राज्य सभा में , सभा का अनुमोदन प्राप्त करने के लिए रखा गया तो वहां यह स्थिति काफी संकट में थी क्योंकि भारतीय जनता पार्टी का बहुमत राज्यसभा में नहीं है। इन परिस्थितियों में सरकार के द्वारा राज्यसभा से इस बिल को पास कराना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं था। लंबी बहस के बाद जो लगभग 5 घंटे चली सरकार के मंत्री रविशंकर प्रसाद के द्वारा इस विषय पर सभी पार्टियों का मत प्राप्त करने की भरपूर कोशिश की लेकिन दुर्भाग्य रहा की जहां कांग्रेस जैसी पार्टी ने इस बिल के खिलाफ वोटिंग की वहीं जेडीयू, एआईडीएमके जैसी पार्टियों ने इस बिल के विरोध में राज्यसभा से वाकआउट किया। इस वकआउट की वजह से  बहुमत की संख्या कम हो गई अंततः जब वोटिंग हुई उस समय बिल के समर्थन में 99 एवं इसके विरोध में 83 वोट पड़े और इस प्रकार यह बिल राज्यसभा से पास हो गया, अब इसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा जहां राष्ट्रपति के अनुमोदन के पश्चात इसे भारत की गजट में प्रकाशित किया जाएगा और उसी में उस तिथि का लेख भी किया जाएगा जिस दिन से यह अधिनियम संपूर्ण देश में लागू होगा।

भारत के राजनीतिक विश्लेषक, समाज विद एवं अन्य अग्रणी व्यक्ति इस बिल को,  इस कानून को ऐतिहासिक बताते हैं। वे कहते हैं इस कानून के द्वारा मुस्लिम समाज की महिलाओं को स्वतंत्रता प्राप्त होगी, उन्हें एक अच्छा जीवन जीने का हक मिलेगा। मुस्लिम महिलाओं को एक तरफा तलाक के धार्मिक कानून से मुक्ति मिलेगी अब मुस्लिम महिलाओं को उनके पतियों के द्वारा तलाक तलाक तलाक ऐसा कह कर तलाक नहीं दिया जा सकेगा।

तलाक का यह तरीका बहुत सारे मुस्लिम देशों जैसे कि ईरान, इराक, पाकिस्तान  जोकि यहां के संविधान के अनुसार एक मुस्लिम देश हैं, में 1950 के दशक के पहले ही समाप्त किया जा चुका है, फिर भी भारत,  जो कि एक लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष देश है उसमे इतने लंबे समय तक यह जीवित रहा यह स्वयं भारत की पंथनिरपेक्ष, धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था का अपमान था। यह इस देश की राजनीतिक पार्टियों की वोट बैंक की सोच का नतीजा ही था कि इस प्रकार की कुप्रथा को जिसे बहुत पहले ही समाप्त कर दिया जाना चाहिए था किसी भी राजनीतिक पार्टी ने इसे समाप्त करने के बारे में नहीं सोचा। उसे हमेशा ही यह लगा कि अगर वह इससे छेड़छाड़ करते हैं तो उनका मुस्लिम समुदाय का वोट बैंक चला जाएगा।

 देर आए दुरुस्त आए। अब वह काला अध्याय समाप्त हो चुका है।

सरकार द्वारा बनाए इस विधेयक की बात करें तो अब जो कोई व्यक्ति जो मुस्लिम समाज का है अगर वह अपनी पत्नी को एक ही बार में 3 शब्दों तलाक तलाक तलाक का इस्तेमाल करते हुए या कानूनी प्रक्रिया का अनुसरण किए बिना छोड़ देता है तो यह क्रिया इस कानून के तहत एक अपराध मानी जाएगी। जिसकी रिपोर्ट पुलिस थाने में जाकर स्वयं पीड़ित महिला के द्वारा या फिर महिला के सगे संबंधियों द्वारा की जा सकती है। इस कानून में इस आपराधिक क्रिया को गैर जमानती बनाया गया है जहां पहले इसमें यह निर्देश था कि मजिस्ट्रेट के द्वारा भी इसमें अपराधी को जमानत नहीं दी जाएगी वही इसे अब परिवर्तित करके मजिस्ट्रेट के द्वारा जमानत देने योग्य बना दिया गया है। अगर इसमें किसी व्यक्ति का अपराध सिद्ध पाया जाता है तो उसे 3 साल तक की जेल हो सकती है। कानून का स्वरूप ही होता है अपराधियों को रोकना और लोगों में भय पैदा करना ताकि वह इस अपराध को ना करें। इसीलिए हर अपराधिक कृत्य में दंड के स्वरूप का समावेश किया जाता है, जैसा इसमें किया गया है।

निश्चित ही इस कानून का बहुत व्यापक असर होने वाला है क्योंकि अक्सर यह देखने को मिलता था की कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को एक चिट्ठी लिखकर उसमें तीन बार तलाक लिखकर तलाक दे देता था तो कोई किसी अन्य महिला के साथ संबंधों में आकर अपनी पत्नी को तलाक दे देता था कोई केवल इसलिए तलाक दे देता था की महिला ने अपने बच्चों के लिए पति से दूध के लिए पैसे मांगे, कोई इसलिए तलाक दे देता था क्योंकि उस महिला को सिर्फ बेटियां ही पैदा हो रही थी कोई इसलिए तलाक दे देता था की उसकी पत्नी ने खाना अच्छा नहीं बनाया और ना जाने ऐसे किन किन वहानों से मुस्लिम महिलाओं साथ अत्याचार होता आ रहा था। अब कानून के भय से, जेल जाने के डर से कम से कम इस पर अंकुश लगेगा, तलाक की जो नियत प्रक्रिया है उसका पालन किया जाएगा।

तलाक की नियत प्रक्रिया

मुस्लिम धर्म में पुरुषों को निर्णायक रूप से वर्चस्व दिया गया है वहां कहीं भी महिलाओं को पुरुषों के समकक्ष नहीं रखा गया है उन्हें पर्दे के पीछे रहने का निर्देश है। व्यवस्था कुछ ऐसी बनती है कि मुस्लिम समाज में महिलाएं सिर्फ उपयोग की वस्तु बन कर रह जाती हैं उनका औचित्य सिर्फ संतान उत्पत्ति तक रह जाता है। पुरुष जब चाहे तब उनका त्याग करने का निर्णय ले सकता है एवं जब चाहे तब कोई दूसरा विवाह भी कर सकता है। मुस्लिम समाज में विवाह एक संविदा है जिसे कभी भी तोड़ा जा सकता है जिसे मुस्लिम धर्म में तलाक कहा गया है। मुस्लिम धर्म में मुख्य रूप से दो प्रकार के तलाक होते हैं

 तलाक ऐ विद्दत - यह वही तलाक है जिसमें पति अपने पत्नी को सिर्फ तीन बार तलाक शब्द का उच्चारण करके त्याग देता है। इसे तो इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान  मे भी मना किया गया है उसमे जगह नहीं मिली है। लेकिन भारत के कट्टरपंथी मुस्लिम समाज के धर्म गुरु अपनी पैठ बनाने के लिए, अपना वर्चस्व बनाने के लिए लगातार इसका उपयोग करने को प्रोत्साहित करते रहे हैं। उन्होंने कभी भी इसका विरोध नहीं किया वह हमेशा मुस्लिम महिलाओं को दबाकर रखना चाहते थे। इसीलिए इस प्रकार के तलाक को वह लोग व्यक्तिगत कानून बोलकर सरकारों को इसमें हस्तक्षेप  ना करने के लिए कहा करते थे।

  तलाक  ऐ हसन- इस प्रकार की तलाक  में प्रक्रिया का पालन किया जाता है जिसने कम से कम 3 महीने का समय लगता है तलाक किसी कम से कम 2 गवाहों के समक्ष दिया जाता है उसके समक्ष उचित कारण रखे जाते हैं एवं अंत में इसे मुस्लिम समाज का कोई धर्मगुरु अपनी सहमति देता है तब ही यह तलाक हुआ ऐसा माना जाता है

 तो अब तलाक किस प्रकार होगा

 अब तलाक के लिए दूसरे प्रकार का तलाक जिसे तलाक ए हसन कहा जाता है इस प्रक्रिया का पालन करना होगा जिसमें पुरुष को उचित कारण बताते हुए कम से कम दो गवाहों के समक्ष 3 महीने में तीन बार तलाक इस शब्द का उच्चारण करना होगा अंत में धर्मगुरु की सहमति के बाद ही तलाक हो सकेगा।

 कानून का दुरुपयोग

जब भी कोई कानून बनता है उसके दुरुपयोग की संभावना हमेशा बनी रहती है जिस प्रकार भारत में दहेज को रोकने के लिए दहेज विरोधी कानून बनाए गए थे उसका बहुत विस्तृत स्तर पर दुरुपयोग होने लगा ना जाने उससे कितने ही परिवार तबाह हो गए ना जाने इस कानून के दुरुपयोग से कितने ही लोगों ने आत्महत्या कर ली। इसके अलावा अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में छुआछूत को दूर करना था इस कानून का भी बहुत ही दुरुपयोग हुआ हर छोटे-मोटे विवाद में इस कानून को बेवजह ही हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा था ऐसे बहुत से कानून है जिनका दुरुपयोग होता रहा है इन दोनों कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ वर्षों पश्चात ही दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके साथ ही भारत में अन्य महिला संबंधी कानून का भी बहुत ज्यादा दुरूपयोग हो रहा है जैसे घरेलू हिंसा अधिनियम, आईपीसी में उपलब्ध बलात्कार कानून एवं छेड़छाड़ के कानूनों का बेजा दुरुपयोग हो रहा है। इसका सबसे ताजा उदाहरण भारत के मुख्य न्यायाधीश के ऊपर लगने वाला यौन उत्पीड़न का आरोप है जो बाद में झूठा पाया गया था।

तो यहां बस जरूरत इसी बात की है कि सरकारें और वह एजेंसियां जो इस तलाक के कानून को क्रियान्वित करेंगी,  बहुत ही बारीकी से काम करें ताकि इस कानून का दुरुपयोग ना हो पाए।

 अंत में शाहबानो से लेकर अपने हक के लिए लड़ने वाली सभी मुस्लिम समाज की महिलाओं को बहुत-बहुत बधाई।

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Sunday, July 28, 2019

We Corrupt Indian

दुनिया के भ्रष्टाचार मुक्त देशों में शीर्ष पर गिने जाने वाले न्यूजीलैंण्ड के एक लेखक ब्रायन ने भारत में व्यापक रूप से फैंलें भष्टाचार पर एक लेख लिखा है। ये लेख सोशल मीडि़या पर काफी वायरल हो रहा है। लेख की लोकप्रियता और प्रभाव को देखते हुए विनोद कुमार जी ने इसे हिन्दी भाषीय पाठ़कों के लिए अनुवादित किया है। –

न्यूजीलैंड से एक बेहद तल्ख आर्टिकिल।

भारतीय लोग  होब्स विचारधारा वाले है (सिर्फ अनियंत्रित असभ्य स्वार्थ की संस्कृति वाले)

भारत मे भ्रष्टाचार का एक कल्चरल पहलू है। भारतीय भ्रष्टाचार मे बिलकुल असहज नही होते, भ्रष्टाचार यहाँ बेहद व्यापक है। भारतीय भ्रष्ट व्यक्ति का विरोध करने के बजाय उसे सहन करते है। कोई भी नस्ल इतनी जन्मजात भ्रष्ट नही होती

ये जानने के लिये कि भारतीय इतने भ्रष्ट क्यो होते हैं उनके जीवनपद्धति और परम्पराये देखिये।

भारत मे धर्म लेनेदेन वाले व्यवसाय जैसा है। भारतीय लोग भगवान को भी पैसा देते हैं इस उम्मीद मे कि वो बदले मे दूसरे के तुलना मे इन्हे वरीयता देकर फल देंगे। ये तर्क इस बात को दिमाग मे बिठाते हैं कि अयोग्य लोग को इच्छित चीज पाने के लिये कुछ देना पडता है। मंदिर चहारदीवारी के बाहर हम इसी लेनदेन को भ्रष्टाचार कहते हैं। धनी भारतीय कैश के बजाय स्वर्ण और अन्य आभूषण आदि देता है। वो अपने गिफ्ट गरीब को नही देता, भगवान को देता है। वो सोचता है कि किसी जरूरतमंद को देने से धन बरबाद होता है।

जून 2009 मे द हिंदू ने कर्नाटक मंत्री जी जनार्दन रेड्डी द्वारा स्वर्ण और हीरो के 45 करोड मूल्य के आभूषण तिरुपति को चढाने की खबर छापी थी। भारत के मंदिर इतना ज्यादा धन प्राप्त कर लेते हैं कि वो ये भी नही जानते कि इसका करे क्या। अरबो की सम्पत्ति मंदिरो मे व्यर्थ पडी है।

जब यूरोपियन इंडिया आये तो उन्होने यहाँ स्कूल बनवाये। जब भारतीय यूरोप और अमेरिका जाते हैं तो वो वहाँ मंदिर बनाते हैं।

भारतीयो को लगता है कि अगर भगवान कुछ देने के लिये धन चाहते हैं तो फिर वही काम करने मे कुछ कुछ गलत नही है। इसीलिये भारतीय इतनी आसानी से भ्रष्ट बन जाते हैं।

भारतीय कल्चर इसीलिये इस तरह के व्यवहार को आसानी से आत्मसात कर लेती है, क्योंकि

1 नैतिक तौर पर इसमे कोई नैतिक दाग नही आता। एक अति भ्रष्ट नेता जयललिता दुबारा सत्ता मे आ जाती है, जो आप पश्चिमी देशो मे सोच भी नही सकते ।

2 भारतीयो की भ्रष्टाचार के प्रति संशयात्मक स्थिति इतिहास मे स्पष्ट है। भारतीय इतिहास बताता है कि कई शहर और राजधानियो को रक्षको को गेट खोलने के लिये और कमांडरो को सरेंडर करने के लिये घूस देकर जीता गया। ये सिर्फ भारत मे है

भारतीयो के भ्रष्ट चरित्र का परिणाम है कि भारतीय उपमहाद्वीप मे बेहद सीमित युद्ध हुये। ये चकित करने वाला है कि भारतीयो ने प्राचीन यूनान और माडर्न यूरोप की तुलना मे कितने कम युद्ध लडे। नादिरशाह का तुर्को से युद्ध तो बेहद तीव्र और अंतिम सांस तक लडा गया था। भारत मे तो युद्ध की जरूरत ही नही थी, घूस देना ही ही सेना को रास्ते से हटाने के लिये काफी था।  कोई भी आक्रमणकारी जो पैसे खर्च करना चाहे भारतीय राजा को, चाहे उसके सेना मे लाखो सैनिक हो, हटा सकता था।

प्लासी के युद्ध मे भी भारतीय सैनिको ने मुश्किल से कोई मुकाबला किया। क्लाइव ने मीर जाफर को पैसे दिये और पूरी बंगाल सेना 3000 मे सिमट गई। भारतीय किलो को जीतने मे हमेशा पैसो के लेनदेन का प्रयोग हुआ। गोलकुंडा का किला 1687 मे पीछे का गुप्त द्वार खुलवाकर जीता गया। मुगलो ने मराठो और राजपूतो को मूलतः रिश्वत से जीता श्रीनगर के राजा ने दारा के पुत्र सुलेमान को औरंगजेब को पैसे के बदले सौंप दिया। ऐसे कई केसेज हैं जहाँ भारतीयो ने सिर्फ रिश्वत के लिये बडे पैमाने पर गद्दारी की।

सवाल है कि भारतीयो मे सौदेबाजी का ऐसा कल्चर क्यो है जबकि जहाँ तमाम सभ्य देशो मे ये  सौदेबाजी का कल्चर नही है

3- भारतीय इस सिद्धांत मे विश्वास नही करते कि यदि वो सब नैतिक रूप से व्यवहार करेंगे तो सभी तरक्की करेंगे क्योंकि उनका “विश्वास/धर्म” ये शिक्षा नही देता।  उनका कास्ट सिस्टम उन्हे बांटता है। वो ये हरगिज नही मानते कि हर इंसान समान है। इसकी वजह से वो आपस मे बंटे और दूसरे धर्मो मे भी गये। कई हिंदुओ ने अपना अलग धर्म चलाया जैसे सिख, जैन बुद्ध, और कई लोग इसाई और इस्लाम अपनाये। परिणामतः भारतीय एक दूसरे पर विश्वास नही करते।  भारत मे कोई भारतीय नही है, वो हिंदू ईसाई मुस्लिम आदि हैं। भारतीय भूल चुके हैं कि 1400 साल पहले वो एक ही धर्म के थे। इस बंटवारे ने एक बीमार कल्चर को जन्म दिया। ये असमानता एक भ्रष्ट समाज मे परिणित हुई, जिसमे हर भारतीय दूसरे भारतीय के विरुद्ध है, सिवाय भगवान के जो उनके विश्वास मे खुद रिश्वतखोर है

लेखक-ब्रायन,
गाडजोन न्यूजीलैंड

( समाज की बंद आँखों को खोलने के लिए इस मैसेज  को जितने लोगो तक भेज सकते हैं भेजने का कष्ट करें ।)

Sunday, July 21, 2019

पचाना सीखिए

पचाना सीखिए

मेरी बीवी ने आज सब्जी में बहुत ज्यादा मिर्ची एवं नमक बहुत ही कम डाला था मैं बिना कुछ बोले चुपचाप खा गया मेरी बीवी ने आज सब्जी में नमक बहुत कम एवं मिर्ची बहुत ज्यादा डाल दी थी मैंने उससे बोला उसने उसका उत्तर दिया  और हमारे रिश्ते में थोड़ी दूरियां बढ़ गई।

यह वह घटना है जो अक्सर हमारे साथ होती रहती है ऐसी बहुत सी घटनाएं हमारे साथ होती हैं जिनके ऊपर अपनी प्रतिक्रिया देना बहुत आवश्यक नहीं होता है फिर भी हम उनके ऊपर बहुत तीखी प्रतिक्रिया दे देते हैं असर यह होता है कि हमारे स्वयं का मानसिक तनाव बढ़ जाता है दूसरे से संबंध तो खराब होते ही हैं।  कहने का मतलब यह की ऐसी कोई बात जो आपके किसी अन्य व्यक्ति से या किसी अन्य व्यक्तियों के संबंधों को खराब कर सकती है यथासंभव ऐसी बात को वहीं रोक देना चाहिए।

इसीलिए कहा गया है पचाना सीखिए।

Tuesday, July 16, 2019

ये जीवन!

जीवन के *20* साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई *नोकरी* की खोज । ये नहीं वो , दूर नहीं पास । ऐसा करते करते *2 .. 3* नोकरियाँ छोड़ने एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई।

फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का *चेक*। वह *बैंक* में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले *शून्यों* का अंतहीन खेल। *2- 3* वर्ष और निकल गए। बैंक में थोड़े और *शून्य* बढ़ गए। उम्र *27* हो गयी।

और फिर *विवाह* हो गया। जीवन की *राम कहानी* शुरू हो गयी। शुरू के *2 ..  4* साल नर्म , गुलाबी, रसीले , सपनीले गुजरे । हाथो में हाथ डालकर घूमना फिरना, रंग बिरंगे सपने। *पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए*।

और फिर *बच्चे* के आने ही आहट हुई। वर्ष भर में *पालना* झूलने लगा। अब सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया। उठना - बैठना, खाना - पीना, लाड - दुलार ।

समय कैसे फटाफट निकल गया, पता ही नहीं चला।
*इस बीच कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया, बाते- करना घूमना - फिरना कब बंद हो गया दोनों को पता ही न चला*।

*बच्चा* बड़ा होता गया। वो *बच्चे* में व्यस्त हो गयी, मैं अपने *काम* में । घर और गाडी की *क़िस्त*, बच्चे की जिम्मेदारी, शिक्षा और भविष्य की सुविधा और साथ ही बैंक में *शुन्य* बढाने की चिंता। उसने भी अपने आप काम में पूरी तरह झोंक दिया और मेने भी....

इतने में मैं *37* का हो गया। घर, गाडी, बैंक में *शुन्य*, परिवार सब है फिर भी कुछ कमी है ? पर वो है क्या समझ नहीं आया। उसकी चिड चिड बढती गयी, मैं उदासीन होने लगा।

इस बीच दिन बीतते गए। समय गुजरता गया। बच्चा बड़ा होता गया। उसका खुद का संसार तैयार होता गया। कब *10वि*   *anniversary*आई और चली गयी पता ही नहीं चला। तब तक दोनों ही *40 42* के हो गए। बैंक में *शुन्य* बढ़ता ही गया।

एक नितांत एकांत क्षण में मुझे वो *गुजरे* दिन याद आये और मौका देख कर उस से कहा " अरे जरा यहाँ आओ, पास बैठो। चलो हाथ में हाथ डालकर कही घूम के आते हैं।"

उसने अजीब नजरो से मुझे देखा और कहा कि " *तुम्हे कुछ भी सूझता* *है यहाँ ढेर सारा काम पड़ा है तुम्हे* *बातो की सूझ रही है*।"
कमर में पल्लू खोंस वो निकल गयी।

तो फिर आया *पैंतालिसवा* साल, आँखों पर चश्मा लग गया, बाल काला रंग छोड़ने लगे, दिमाग में कुछ उलझने शुरू हो गयी।

बेटा उधर कॉलेज में था, इधर बैंक में *शुन्य* बढ़ रहे थे। देखते ही देखते उसका *कॉलेज* ख़त्म। वह अपने पैरो पे खड़ा हो गया। उसके पंख फूटे और उड़ गया *परदेश*।

उसके *बालो का काला* रंग भी उड़ने लगा। कभी कभी दिमाग साथ छोड़ने लगा। उसे *चश्मा* भी लग गया। मैं खुद *बुढा* हो गया। वो भी *उमरदराज* लगने लगी।

दोनों *55* से *60* की और बढ़ने लगे। बैंक के *शून्यों* की कोई खबर नहीं। बाहर आने जाने के कार्यक्रम बंद होने लगे।

अब तो *गोली दवाइयों* के दिन और समय निश्चित होने लगे। *बच्चे* बड़े होंगे तब हम *साथ* रहेंगे सोच कर लिया गया घर अब बोझ लगने लगा। *बच्चे* कब *वापिस* आयेंगे यही सोचते सोचते बाकी के दिन गुजरने लगे।

एक दिन यूँ ही सोफे पे बेठा ठंडी हवा का आनंद ले रहा था। वो दिया बाती कर रही थी। तभी *फोन* की घंटी बजी। लपक के *फोन* उठाया। *दूसरी तरफ बेटा था*। जिसने कहा कि उसने *शादी* कर ली और अब *परदेश* में ही रहेगा।

उसने ये भी कहा कि पिताजी आपके बैंक के *शून्यों* को किसी *वृद्धाश्रम* में दे देना। और *आप भी वही रह लेना*। कुछ और ओपचारिक बाते कह कर बेटे ने फोन रख दिया।

मैं पुन: सोफे पर आकर बेठ गया। उसकी भी पूजा ख़त्म होने को आई थी। मैंने उसे आवाज दी *"चलो आज फिर हाथो में हाथ लेके बात करते हैं*"
*वो तुरंत बोली " अभी आई"।*

मुझे विश्वास नहीं हुआ। *चेहरा ख़ुशी से चमक उठा*। आँखे भर आई। आँखों से आंसू गिरने लगे और गाल भीग गए । अचानक आँखों की *चमक फीकी* पड़ गयी और मैं *निस्तेज* हो गया। हमेशा के लिए !!

उसने शेष पूजा की और मेरे पास आके बैठ गयी " *बोलो क्या बोल रहे थे*?"

लेकिन मेने कुछ नहीं कहा। उसने मेरे शरीर को छू कर देखा। शरीर बिलकुल *ठंडा* पड गया था। मैं उसकी और एकटक देख रहा था।

क्षण भर को वो शून्य हो गयी।
" *क्या करू*? "

उसे कुछ समझ में नहीं आया। लेकिन *एक दो* मिनट में ही वो चेतन्य हो गयी। धीरे से उठी पूजा घर में गयी। एक अगरबत्ती की। *इश्वर को प्रणाम किया*। और फिर से आके सोफे पे बैठ गयी।

मेरा *ठंडा हाथ* अपने हाथो में लिया और बोली
" *चलो कहाँ घुमने चलना है तुम्हे* ? *क्या बातें करनी हैं तुम्हे*?" *बोलो* !!

ऐसा कहते हुए उसकी आँखे भर आई !!......
वो एकटक मुझे देखती रही। *आँखों से अश्रु धारा बह निकली*। मेरा सर उसके कंधो पर गिर गया। ठंडी हवा का झोंका अब भी चल रहा था।

*क्या ये ही जिन्दगी है ? ?*

सब अपना नसीब साथ लेके आते हैं इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो । जीवन अपना है तो जीने के तरीके भी अपने रखो। शुरुआत आज से करो। क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा।
सभी मित्रों को समर्पित ये मार्मिक सच ,मित्रो अश्रु जरूर बहने देना रोकना नहीं बोझ कुछ कम हो जायेगा।  

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Monday, July 15, 2019

धोनी ले रहे रिटायरमेंट?


धोनी ले रहे रिटायरमेंट?

वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मैच में न्यूजीलैंड के हाथों 18 रन से हार के बाद यह अटकलें बहुत तेज हो गई हैं कि धोनी अब क्रिकेट खेल से संन्यास ले रहे हैं। अभी हाल ही में एक प्रेस वार्ता में जिसमें यह बात सामने आई कि बिना किसी खिलाड़ी के मन को जाने क्यों इस प्रकार की चर्चा मीडिया में चलने लगती हैं। अभी वर्तमान में धोनी बहुत अच्छे फॉर्म में रहे हैं इस पूरे वर्ल्ड कप में जब भी उनकी बैटिंग आई उन्होंने अच्छे से ही परफॉर्म किया है। धोनी के द्वारा इस वर्ल्ड कप में सभी मैचों में खेलते हुए 273 रन बनाए गए यह रन 45 के औसत से और 87 के स्ट्राइक रेट से बनाए गए हैं। एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में यह काबिले तारीफ है। जहां धोनी को सिर्फ मैच के अंतिम पलों में जब ऊपर की बल्लेबाजी नाकाम हो चुकी होती है वहां पर भेजा जाता है, उस दवाव की परिस्थिति में जिस प्रकार से महेंद्र सिंह धोनी खेलते हैं संभवत कोई और खिलाड़ी इस प्रकार से सतत रिजल्ट नहीं दे सकता है और खासकर भारत में तो अभी वर्तमान में ऐसा कोई खिलाड़ी नहीं दिखाई देता। 

कुछ सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि आने वाले T20 वर्ल्ड कप 2020 में एवं भविष्य की निकटतम क्रिकेट सीरीज में धोनी को टीम में शामिल नहीं किया जाएगा। यह देखा गया था कि वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ जब मैच हुआ था तो धोनी  हालांकि वहां पर 31 बॉल में 41 रन बनाए थे लेकिन स्कोर को चेज करने की मन स्थिति से नहीं खेल रहे थे , इस पर सिलेक्टर्स काफी सख्त दिख रहे हैं। एक ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ी के द्वारा यहां तक कह देना कि अगर महेंद्र सिंह धोनी भारत में ना हो के किसी अन्य देश से क्रिकेट खेल रहे होते तो उन्हें काफी दिनों पहले ही टीम से ड्रॉप कर दिया गया होता।

यह भली-भांति सब जानते हैं कि भारतीय टीम में सिलेक्शन और खिलाड़ियों का ड्रॉप किया जाना कभी भी ट्रांसपेरेंट नहीं रहा है कभी भी ऐसा कोई मापदंड नहीं रहा कि जिस आधार पर खिलाड़ियों का सिलेक्शन किया जाए , बस सिलेक्टर्स के द्वारा यह घोषणा कर दी जाती है कि यह हमारी टीम होगी। जबकी यहां पर एक ट्रांसपेरेंट  प्रक्रिया होने चाहिए और इन कारणों का भी उचित उल्लेख किया जाना चाहिए कि किस खिलाडी का किन पर और क्यों भारती टीम में सलेक्शन किया जा रहा है और किस खिलाडी का किन-किन कारणों के कारण भारती टीम में रहने के बावजूद भी उसका सेलेक्शन नहीं किया गया है या उससे ड्रॉप कर दिया गया है। यह सर्व विदित है कि bcci के द्वारा जिस टीम का सिलेक्शन होता है वह पुरे भारत का प्रतिनिधित्व करती इसलिए हर भारती नागरिक का इस नाते कि वह इस देश का नागरिक है, यह जानने का हक बनता है कि उसके टीम के खिलाडी किन-किन आधारों पर चयनित किए गए हैं। और किस खिलाडी को किस आधार पर वर्तमान में टीम से ड्राप कर दिया गया है। भूतकाल में ऐसा बहुत हुआ है कि खिलाड़ियों को बिना किसी कारण के टीम से ड्रॉप कर दिया जाता है एवं अंत में उन्हें गुमनामी में  सन्यास लेना पड़ता है, जैसे कि वीरेंद्र सहवाग, वह भारतीय टीम के एक लंबे समय तक खेलने वाले प्रमुख खिलाडी रहे अपनी बल्लेबाजी से उन्होंने भारतीय टीम को कई बार जीत दिलाई लेकिन जब उन्हें टीम से ड्रॉप किया गया तो कोई कारण नहीं बताए गया एवं बाद ने उनका सलेक्शन नहीं हुआ जिस वजह से गुमनामी में ही उन्हें संयास की घोषणा करनी पड़ी। वह खिलाड़ी जो एक लंबी अरसे तक भारतीय टीम में खेलता रहा भारत के 130 करोड़ जनता का गौरव उसने बढ़ाया, क्या उसे सम्मान पूर्ण विदाई का हक भी नहीं है। अगर कोई खिलाडी अच्छा परफॉर्म नहीं कर रहा है तो उसे एक सम्मान पूर्वक संयास की घोषणा एवं ऐसी घोषणा के उपरांत bcci के द्वारा एक अच्छा फेयरवेल खिलाडी को जरुरी देना चाहिए। इस प्रकार की प्रक्रिया bcci के द्वारा अनुसरण में लाई जाए इसको सुनिश्चित करना इसकी नैतिक जिम्मेवारी तो सरकार की ही बनती है। धोनी भारतीय क्रिकेट के एक महान खिलाड़ी है उनको रिटायरमेंट कब लेना है यह आप हम और मीडिया पर नहीं कर सकता यह उन पर ही निर्भर है कि वह कब तक देश का गौरव बढा़ना चाहते हैं। सन्यास लेना उनका अपना निजी फैसला है।

चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग

चंदा मामा दूर के नहीं अब चंदा मामा टूर के हो गए हैं बड़ा ही भावुक समय था चंद्रयान को चंद्रमा की धरती पर लैंड करते हुए देखना, पहल...