पूरी दुनिया भर में 4200 से भी ज्यादा धर्मों को मानने वाले लोग हैं ,अगर हम भारत की बात करें तो भारत में हिंदू ,मुस्लिम ,ईसाई ,सिख ,जैन बुद्ध , पारसी यह कुछ प्रमुख धर्मों के मानने वालों की संख्या अधिक है। भारत के संविधान में भी आर्टिकल 25 में धर्म एक आवाध स्वतंत्रता है, ऐसी व्यवस्था की गई है। संविधान धर्म को व्यक्ति का मौलिक अधिकार मानता है एवं इसे संविधान में हर व्यक्ति की व्यक्तिगत विचारधारा है ,ऐसे रूप में स्थापित किया गया है। अगर हम एक उदाहरण के रूप में समझे तो जैसे हिंदू धर्म हमें विभिन्न प्रकार की शीलो को सिखाता है जन्म से मरण तक हिंदू धर्म मानने वाले व्यक्ति का जीवन 16 संस्कारों से सजा होता है। गर्भाधान प्रथम संस्कार होता है वही मृत्यु और मरणोपरांत किया जाने वाला संस्कार अंतिम संस्कार माना गया है। इन दोनों के बीच जीवन किस प्रकार से जिया जाए इसकी व्यवस्था हिंदू धर्म बहुत ही विस्तृत रूप में करता है। इसी प्रकार हर धर्म में जीवन के प्रारंभ से लेकर मृत्यु तक विभिन्न प्रकार के आचरण व व्यवहारों की व्यवस्था की गई है।धर्म का प्रभाव व्यक्तिगत सामाजिक राजनीतिक एवं आर्थिक गतिविधियों पर भी बहुत ही विस्तृत रूप से पड़ता है।
भारतीय संविधान किसी विशेष धर्म की बात नहीं करता बल्कि देश के हर नागरिक द्वारा समान आचरण की अपेक्षा करता है।भारतीय संविधान से ही बहुत सारे कानूनों का एक सेट बना दिया जाता है जिसे अगर कोई व्यक्ति नहीं मानता या उसका उल्लंघन करता है तो दंड का भागीदार होता है ।बावजूद इसके भारत में अनगिनत लोग ऐसे कानूनों का जानबूझकर उल्लंघन करते हैं वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उसी मानसिकता दूषित होती है और यही दूषित मानसिकता कहलाती है करप्शन। और यही करप्शन भारत में एक नए धर्म के रूप में स्थापित हो चला है। एक प्राइवेट सिविल व्यक्ति जोो अपने व्यक्तिगत काम को करनाा चाहत है उसेेे अपने काम को करने केे लि बहुत सारे लोगों को रिश्ववत तक देनी पडती है। जब कि अगर सरकार किसी भी काम को करनाा चाहती है तो यहांं पर सरकारी विभाग के एक छोटे कर्मचारी से लेकर उस विभाग के प्रमुख एवं मंत्री तक को किए गए काम की रिश्वत एक निश्चित प्रतिशत केेे रूप में दी जाती है । और इसे प्राप्त्त्त्त करने वाला व्यक्ति बड़े ही गर्व से अपना हक मानते हुए प्राप्त करता है एवंं ना मिलने पर अपने सरकारी दायित्वों से दूर होो जाता है तथा जिस व्यक्ति से उसे ,ऐसे रिश्वत प्राप्त करनी है उसके प्रति भांति भांति के षड्यंत्र की रचना करना प्रारंभ कर देता है।
आज जरूरत है देश को इस कमीशन रूपी करप्ट मानसिकता से बाहर आने की , शायद इससे बाहर आना यही हमारे लिए भविष्य के विकास के द्वार खोलेगी ।
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