आज उनकी याद फिर आती है
तुमसे बात करने को जी चाहता है 
तुमसे मिलने को जी चाहता है
हाथों में लेके तुम्हारा हाथ मिलो तक चलने को जी चाहता है क्यों इतने दूर हो तुम
 देख लो आज फिर तुम्हारी याद आती है।
तेरी कदमों को देखा करते थे
तेरे हाथों को निहारा करते थे
नजरें मिलाने की तो हिम्मत न थी 
आंखों में आंसू लिए 
तेरे होठों की तमन्ना किया करते थे
क्यों इतनी दूर हो तुम देख लो 
आज फिर तुम्हारी याद आती है
वक्त भले गुजर गया हो 
लेकिन ठीक वैसे ही, सताती हो तुम 
जैसे बीते वक्त में सताया करती थी
मुस्कुराना तो दूर,  घूर के भी ना निहारा करती थी
दिल तो तुम्हारा भी नरम ही है
 पर ना जाने क्यों पत्थर बन जाया करती थी। 
क्यों इतनी दूर हो तुम
देख लो एक बार फिर तुम्हारी याद आ है।
No comments:
Post a Comment