दिनांक 19 जनवरी 2020को बीजेपी के समर्थन से राजगढ़ के ब्यावरा तहसील में केंद्र सरकार द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम CAA के समर्थन में एक शांतिपूर्ण झंडा रैली का आयोजन किया जाना था जिसके लिए काफी दिनों पहले ही प्रशासन के सम्मुख अनुमति हेतु आवेदन दिया जा चुका था। सब कुछ सही था लेकिन अंततः दिनांक 18 जनवरी 2020कि शाम को राजगढ़ कलेक्टर सुश्री निधि निवेदिता के द्वारा ब्यावरा समेत संपूर्ण जिले में धारा 144 लगा दी गई। बावजूद इसके 19 जनवरी के दिन कार्यकर्ताओं द्वारा शांतिपूर्ण रूप से तिरंगा झंडा रैली का आयोजन करना सुनिश्चित किया गया। संपूर्ण ब्यावरा तहसील में लगभग 600 पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए ताकि किसी प्रकार की हिंसा को होने से पहले ही रोका जा सके।
दिन के लगभग 11:30 बजे लोग इकट्ठे होने लगे ब्यावरा के अंदर आने वाले सभी रास्तों को बंद कर दिया गया था ताकि धारा 144 के चलते लोगों को बड़ी संख्या में इकट्ठा होने से रोका जा सके। आखिरकार प्रदर्शन के दौरान प्रशासन के अधिकारियों एवं प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो ही गई। जिसमें जिला कलेक्टर एवं डिप्टी कलेक्टर के द्वारा प्रदर्शनकारियों को थप्पड़ मारने एवं झंडे छीनने की वजह से लोग और भड़क गए।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना इस देश के हर नागरिक को भारतीय संविधान के आर्टिकल 19 के द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार है। जब तक अति आवश्यक गांव से छीना नहीं जा सकता।
वही सीआरपीसी की धारा 144 यह प्रावधान करती है जहां कलेक्टर या कार्यपालिका अधिकारी को यह प्रतीत होता है कि लोक व्यवस्था एवं लोग शांति को खतरा है तो इन परिस्थितियों में धारा 144 के आदेश जारी किए जा सकते हैं। एवं लोगों को किसी खास प्रकार की गतिविधि से अलग रहने के लिए निर्देश किए जा सकते हैं।
यहां भी इस झंडा रैली को रोकने के प्रयास से धारा 144 लागू की गई थी लेकिन प्रश्न यह उठता है क्या वास्तव में इतनी गंभीर स्थिति थी कि धारा 144 लागू की जाए।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई निर्णय में यह कहा गया है कि धारा 144 का प्रयोग सिर्फ गंभीर एवं विशेष परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए या किसी खतरे की स्थिति को रोकने के लिए ही इसका प्रयोग किया जाना चाहिए
धारा 144 का प्रयोग विधिक विचार की अभिव्यक्ति को शांतिपूर्ण आयोजन को रोकने के उद्देश्य से नहीं किया जाना चाहिए।
धारा 144 का प्रयोग बहुत ही सोच समझकर किया जाना चाहिए जिससे कि लोगों के अधिकारों को अनावश्यक रूप से दबाया ना जा सके
जब धारा 144 लगाई जाती है तो मजिस्ट्रेट का यह कर्तव्य होता है कि वह लोगों के अधिकारों और उस पर प्रतिबंध के बीच उचित सामंजस्य स्थापित करें उसके हिसाब से अग्रिम प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करें।
बार-बार धारा 144 लगाना प्रदत्त शक्तियों का दुरुपयोग माना जाएगा।
धारा 144 को सुप्रीम कोर्ट में या हाई कोर्ट में कभी भी चुनौती दी जा सकती है साथ ही धारा 144 के भी परिस्थितियों में एक बार में 2 महीने से ज्यादा समय के लिए नहीं लगाई जा सकती
ब्यावरा के घटनाक्रम में ऐसी कोई परिस्थिति नहीं थी की धारा 144 लगाई जाए प्रशासन से अनुमति प्राप्त करके तिरंगे झंडे के तले एक शांतिपूर्ण मार्च प्रस्तावित था ऐसे में धारा 144 को लगाने का कोई औचित्य नहीं था।