तेरा दोस्त हूं मैं
By Subhash 
जो तू गिरेगा तुझे थाम लूंगा मैं,
कीचड़ पर पैर पड़ने से पहले अपनी रुमाल बिछा दूंगा मैं ।
कड़ी धूप में छाता बन जाऊंगा 
तेरा दोस्त हूं मैं तेरी खुशी के लिए कुछ भी कर जाऊंगा।। 
तू है तो फूलों से सजा है यह जीवन 
तू हर ओर है , जीवन के इस माला की डोर है।
खुशबू है तू जीवन के इस फुलवारी की
इस बारी की रखवाली के लिए कुछ भी कर जाऊंगा 
तेरा दोस्त हूं 
मर जाउंगा लेकिन तुझसे दूर ना रह पाऊंगा।।
तू मेरा विश्वास है,  गुरूर है ।
तेरे होने से जीवन में नूर है ।
मैं अगर गलत करूं तो, तू मुझे रोकता है ,
मैं अगर गलत चलूं तो, तू मुझे टोकता है ।
गालियां तू मुझसे खाता है, 
बद्दुआ है तू मुझसे पाता है।
फिर भी अपनी अच्छाई से बाज नहीं आता है 
मेरा दोस्त है तू, 
खुद को आग में जलाकर मुझे सोने की तरह चमकाता है।
सुभाष
हर सच्चे दोस्त का एक सच्चे दोस्त के लिए समर्पित
अपनी बात अपने दोस्त तक पहुंचाऐ इस कविता के माध्यम से आज फ्रेंडशिप डे के मौके पर
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बहुत ही उम्दा ।
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