हमारी आशिकी तो बस इतनी है
तुम रूठो, तो हम तुम को मनाते रह जाए ।
तुम डांटो तो हम सुनते रह जाएं ।
तुम हंसो तो हम तुम्हारी मुस्कुराहट बन जाए ।
हमारी आशिकी तो बस इतनी है कि
जो तुम्हारी आंखें नम हो, तो हम तुम्हारी आंखों में आंसू बन के बस जाएं ।
क्या समंदर की गहराई
हमारा इश्क तो ऐसा, जिसमें हर दर एक जैसी नजर आए ।
शब्दों के प्यारे जाल बुने
उस जाल में तुमको उलझाए
हमारी आशिकी तो ऐसी है, जो तुम उलझे उसमें
तो खुद ही तुम को सुलझा जाएं ।
तुम ना कहो हम हां कहें
तुम ना कहो हम हां कहे
इस हां - ना की लड़ाई में, थोड़ा तुम हंसो थोड़ा हम हंसे
और बस हंसते ही रह जाएं ।
सोते हैं तो जगाती हो
जागते हुए को सुला देती हो
वैसे तो हम बुद्धू हैं
लेकिन देखो तो जरा,
आशिकी में अपनी हमसे कविता भी लिखवाती हो ।
हमारी आशिकी तो ऐसी है
जिसमें ना सिर्फ तुम हो और ना सिर्फ हम हैं
इस इश्क का दायरा तो ऐसा है ,
जिसमें सारा जहां समा जाए ।