मैंऔर जिंदगी ....
उस बच्चे को खुद ही नहीं पता था कि वो कितने साल का है और जब तक वह समझने लायक हुआ तो उसकी यादें धुंधली हो चुकी थी बुल्कुल वैसे ही जैसे सपना देखने के बाद आँख खुलने पे लगता है की क्या वो घटना मैंने महसूस की ,सच है I बात लगभग 30 साल पुरानी है जब वह बड़ा हो गया तो उसने अपने अतीत को झांक कर देखाने की कोशिश की ,सबसे पुरानी उस घटना को याद करने की जिसे वह संभवत पूरी याद वह घटना मानता है I वह समय था उसकी अपनी बड़ी बहन की शादी का ,उसे अच्छे से याद है उसके घर में उसके दादा -दादी ,मां -बाप , आठ भाई-बहन हुआ करते थे I
बड़ी बहन की शादी थी, घर के सामने एक बेर का पेड़ हुआ करता था, जिसकी बरसात अधिक होने के कारण जड़े निकल आई थी I अक्सर बच्चे उसकी डाल को पकड़कर झूला , झूला करते थे और जब उसकी उस डाली में ज्यादा बच्चे हो जाते थे तो कभी-कभी वह जमीन छू लिया करता था I शादी उस बच्चे के लिए ना तो कोई त्यौहार था ,ना ही गम का ना ही खुशी का कोई कारन था I मैं जानता नहीं था कि क्या होने वाला है दुनियादारी से अनभिज्ञ लड़का बिना किसी दोस्त के घर में आए हुए मेहमानों के बच्चों के साथ खेलता रहा I आखिर वह शादी का दिन आ ही गया जिस दिन का सभी को इंतजार था , माँ बोली शादी के दिन तू जल्दी ही सो गया था और जितनी देर तक तू जगता रहा तुझे कुछ यही याद रहा की एक बड़ी सी बस जो करीब 50 से 70 आदमियों को लेकर सरकारी स्कूल के सामने आकर रुकी है I उसने माँ से पूछा और क्या हुआ था माँ बोली बेटा पहले स्कूल ही बरातियों को रोकने का यह सबसे सही अड्डा हुआ करता था I उसने अपने बड़े भाई के साथ स्कूल जाने की जिद की और बड़े भाई द्वारा बड़ी बेरुखी से मना कर दिया , बच्चे को दूल्हे या किसी बाराती से नहीं मिलना था , उसके लिए तो मुद्दा तो वह बड़ी बस थी I शायद पहली बार उस गांव में कोई बस आई थी और सभी बच्चो की तरह उसे भी बस देखनी थी I बस का बड़ा सा हारन पों -पों और मां की वो बात की चुप हो जा तुझे बस में बिठाऊगी ,क्यों की गांव से शहर 16 किलोमीटर दूर था और 8 किलोमीटर पैदल चल कर ही शहर जाने के लिए तांगा मिलता था ,बरसात के दिनों में तो शहर जाना नामुमकिन था , घुटने-घुटने कीचड हुआ करती थी ,और 8 किमी का सफर पहाड़ सा होता था I
बात जब बरसात के कीचड की निकली तो मां की आंख नम हो गयी मेरे बिना पूछे ही मां बताती है कि जब तू चार महीने का था तुझे टिटनस हो गयी थी ,गांव में कोई डॉक्टर तो था नहीं तो तुझे फिर पैदल ही 8 किमी गोद में शहर ले जाना पड़ा ,तो मेरे मुँह से अनायास ही निकला मां मैं तो 2 किलो का ही होऊंगा ना ! तो वो बोली बेटा उस बखत आने जाने के साधन तो कुछ थे नहीं ,एक कमांडर जीप मिली जिसमे पीछे ही बैठने की जगह थी, मै पीछे एक ही पैर ठीक से जमा पायी के ड्राइवर ने गाडी चला दी,तूतो अंदर रह गया पर मैं औंधे मुँह सड़क पर गिर गयी ,मेरे मुँह में बहुत लग गयी थी (बड़े भोलेपन से मेरे सर में हाँथ फेरते हुए बोली )। अब मां के साथ मेरी आंख में भी आंसू थे।
शादी के बारे में और मां ने बताया तू 3 साल का था अपनी बड़ी बहन की शादी में कुछ नहीं जानता था बारात जिला रायसेन से जिला होशंगाबाद आई थी उस समय फौजदार सबसे बड़ी बस सेवा हुआ करती थी उसी की एक बस से बारात आई थी जो तुझे देखनी बारातियों का जमकर स्वागत हुआ पर जब खाने की बारी आई तो मां ने बताया कि खाना आज की तरह बफेट ना होकर पंगत में हुआ बारातियो को नीचे स्कूल की पट्टी पर बिठाकर गांव के लड़कों ने परोसा बच्चों का लड़कपन गुलाब जामुन रास्ते में ही खत्म कर गया घर से स्कूल के बीच का रास्ता था उस दिन गाओं के लड़को के लिए स्वर्ग सा था उसी में सारा माल खा रहे थे दादा गाओं के अच्छे समृद्ध घर से थे कुछ लोग इस बात से जलते थे इसलिए जानबूझकर सब्जी को बिना हिलाए मिलाएं केवल ऊपर का मसाला मसाला बरातियों को खिलाएगा बाद में समझ में आया कि यह कुछ लोगों की कारस्तानी थी जो यह बिल्कुल नहीं चाहते थे की बारात का स्वागत अच्छा हो और शादी अच्छे से निपट जाए आखिरकार फेरे हुए शादी खत्म हो गई
मोती पूरे 18 साल जिया , वह भी बड़ी बहन के साथ ससुराल चला गया कहते हैं जानवर बड़े वफादार होते हैं 2 दिन बाद बहन को लेने उसके ससुराल गए तब पता लगा मोती बहिन के साथ ही उसके ससुराल आ गया था पर एक ही दिन बाद से गायब है घर में दादी और दीदी का बुरा हाल था सबसे ज्यादा तो बहिन से ही लगाव था उसे कुत्ता कहा रह गया था वो अब तो घर का मेंबर था 4 दिन तक मोती का कोई पता नहीं लगा ना बहन की ससुराल में मेरे घर 4 दिन बाद एकदम मोती दिखा हाँफता हुआ पानी में गिरा हुआ मेरी दादी देख कर रोने लगी सभी से पूंछ हिला हिला के झपट्टा सा मरता हुआ मिल रहा था वो जैसे बहुत दिन के बाद वघर बापस आया हो........ अभी तो जिंदगी केबल तीन साल का एक पग ही चली थी ....... अभी तो पूरी यात्रा बाकि है। ......
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क्रमशः ......